काल भैरव अष्टकम | Kaal Bhairav Ashtakam with Hindi Meaning

आदि शंकराचार्य रचित काल भैरव अष्टकम भगवान् काल भैरव को समर्पित आठ छंदों का एक स्तोत्र है। सनातन धर्म में काल भैरव को भगवान् शिव का हीं एक उग्र और न्यायप्रिय रूप माना जाता है। काल भैरव अष्टकम भगवान् शिव के इसी उग्र स्वरुप के अलौकिक ऊर्जा का आह्वान है।

भगवान् काल भैरव के पूजन से हर प्रकार की नकारात्मक बाधाएं, खास तौर पर तंत्र-मंत्र, काला जादू, भूत-प्रेत जैसी बाधाएं शीघ्र हीं दूर हो जाती हैं। साथ हीं साथ काल भैरव के पूजन से मनुष्य सभी प्रकार के ग्रह-दोषों से भी मुक्त हो जाता है।

काल भैरव अष्टकम | Kaal Bhairav Ashtakam in Sanskrit

प्रतिदिन नियमित रूप से काल भैरव अष्टकम का किया गया पाठ भगवान् काल भैरव की कृपा पाने का सबसे सरल माध्यम है। काल भैरव अष्टकम का पाठ आप अपनी सुविधा अनुसार सुबह या शाम को कर सकते हैं। तो चलिए, अब हम काल भैरव अष्टकम का पाठ ध्यान पूर्वक करते हैं।

Kaal Bhairav Ashtakam Lyrics in Sanskrit

काल भैरव अष्टक
काल भैरव अष्टक

काल भैरव अष्टकम आसान भाषा में

ध्यान रखें की, किसी भी स्तोत्र का सही उच्चारण और स्वर में किया गया पाठ हीं आपको पूर्ण लाभ प्रदान करता है। अतः काल भैरव अष्टकम का जाप करते समय भी इसके प्रत्येक शब्द का सही उच्चारण करना जरुरी हो जाता है।

हममे से कई लोग इस अष्टकम में प्रयोग किये गए कठिन शब्दों का सही उच्चारण नहीं कर पाते हैं। अतः हमने यहाँ काल भैरव अष्टकम के संस्कृत के कठिन शब्दों को लघु रूप में इस तरह प्रस्तुत किया है जिससे आप इसका उच्चारण आसानी से कर सकते हैं।

Kaal Bhairav Ashtakam Lyrics in Sanskrit

||काल भैरव अष्टक ||

देवराज-सेव्यमान-पावनां-घ्रिपङ्कजं
व्यालयज्ञ-सूत्रमिन्दु-शेखरं कृपा-करम् ।
नारदादि-योगि-वृन्द-वन्दितं दिगंबरं
काशिका-पुराधिनाथ-कालभैरवं भजे ॥ १॥

भानु-कोटि-भास्वरं भवाब्धि-तारकं परं
नीलकण्ठ-मीप्सितार्थ-दायकं त्रिलोचनम् ।
कालकाल-मंबुजा-क्षमक्ष-शूलमक्षरं
काशिका-पुराधिनाथ-कालभैरवं भजे ॥ २॥

शूलटंक-पाशदण्ड-पाणिमादि-कारणं
श्यामकाय-मादि-देवम-क्षरं निरामयम् ।
भीम-विक्रमं प्रभुं विचित्र-ताण्डव-प्रियं
काशिका-पुराधिनाथ-कालभैरवं भजे ॥ ३॥

भुक्ति-मुक्ति-दायकं प्रशस्त-चारुविग्रहं
भक्तवत्सलं स्थितं समस्त-लोक-विग्रहम् ।
विनिक्वणन्मनोज्ञ-हेमकिङ्किणील-सत्कटिं
काशिका-पुराधिनाथ-कालभैरवं भजे॥ ४॥

धर्मसेतु-पालकं त्वधर्म-मार्ग-नाशनं
कर्मपाश-मोचकं सुशर्म-धायकं विभुम् ।
स्वर्णवर्ण-शेषपाश-शोभितांग-मण्डलं
काशिका-पुराधिनाथ-कालभैरवं भजे ॥ ५॥

रत्नपादुका-प्रभाभिराम-पाद-युग्मकं
नित्यम-द्वितीयमिष्ट-दैवतं निरंजनम् ।
मृत्यु-दर्प-नाशनं कराल-दंष्ट्र-मोक्षणं
काशिका-पुराधिनाथ-कालभैरवं भजे ॥ ६॥

अट्टहास-भिन्न-पद्मजाण्ड-कोशसंततिं
दृष्टिपात्त-नष्ट-पापजाल-मुग्र-शासनम् ।
अष्ट-सिद्धि-दायकं कपाल-मालिका-धरं
काशिका-पुराधिनाथ-कालभैरवं भजे ॥ ७॥

भूत-संघ-नायकं विशाल-कीर्ति-दायकं
काशिवास-लोक-पुण्यपाप-शोधकं विभुम् ।
नीति-मार्ग-कोविदं पुरातनं जगत्पतिं
काशिका-पुराधिनाथ-कालभैरवं भजे ॥ ८॥

॥ फल श्रुति॥

काल-भैरवाष्टकं पठंति ये मनोहरं
ज्ञान-मुक्ति-साधनं विचित्र-पुण्य-वर्धनम् ।
शोक-मोह-दैन्यलोभ-कोप-ताप-नाशनं
प्रयान्ति काल-भैरवांघ्रिसन्निधिं नरा ध्रुवम् ॥

॥इति कालभैरवाष्टकम् संपूर्णम् ॥

काल भैरव अष्टक स्तोत्र PDF

यदि आप काल भैरव अष्टकम को अपने मोबाइल में सेव करना चाहते हैं तो इसके लिए हमने इसका PDF स्वरुप भी आप सभी के लिए उपलभ्ध कराया है। आप नीचे दिए गए Download लिंक पर क्लिक करके इसे अपने मोबाइल या कंप्यूटर में सेव कर सकते हैं।

काल भैरव अष्टक स्तोत्र PDF Download

काल भैरव अष्टकम

इसे भी पढ़ें :
पशुपतिनाथ को समर्पित एक शक्तिशाली स्तोत्र पशुपति अष्टकम

काल भैरव अष्टकम हिंदी में | Kaal Bhairav Ashtakam in Hindi

काल भैरव अष्टकम का पाठ सभी प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा से मनुष्य की रक्षा करता है। नियमित रूप से किया गया काल भैरव अष्टकम के पाठ से व्यक्ति के जीवन में आने वाले संकट भी टल जाते हैं। अगर आप इस स्तोत्र का पाठ संस्कृत में नहीं कर पा रहे हों तो इसे आप हिंदी में भी पढ़ सकते हैं।

Kaal Bhairav Ashtakam in Hindi

||काल भैरव अष्टकम हिंदी में ||

जिनके चरण कमलों की सेवा सदा भगवान् देवराज इंद्र करते हैं, जिन्होनें चन्द्रमा को आभूषण रुप में तथा सर्प को यज्ञोपवीत रूप में अपने शरीर पे धारण किया है, जो दिगंबर वेश में हैं तथा नारद आदि योगी जिनकी वंदना करते हैं, उन काशी के नाथ कालभैरव जी को मैं भजता हूं।

जो करोड़ों सूर्यों के समान दीप्तिमान हैं, जो भवसागर को पार कराने वाले हैं, जिनका कंठ नीला हैं, जो संसार की समस्त समृद्धियां को प्रदान करने वाले हैं तथा जिनके तीन नेत्र हैं। जो काल के भी काल हैं तथा जिनका त्रिशूल तीन लोकों को धारण करने वाला है और जो अविनाशी हैं उस काशी के नाथ कालभैरव को मैं भजता हूं।

जो अपने दोनों हाथों में त्रिशूल, कुल्हाड़ी, पाश और दंड लिए हैं, जो सम्पूर्ण सृष्टि के सृजन का कारण हैं, जिनका वर्ण सांवला है और जो सांसारिक रोगों से परे आदिदेव हैं, जिन्हें तांडव पसंद है उस काशी के नाथ कालभैरव को मैं भजता हूं।

जो सांसारिक भोग और मुक्ति दोनों को हीं प्रदान करने वाले हैं, जो स्वरुप शुभ और आनंद दायक है, जो अपने भक्तों से सदा प्रेम करते हैं और तीने लोकों में व्याप्त हैं। जो अपनी कमर पर आनंद दायक ध्वनियों को उत्पन्न करने वाली घंटियां को धारण करते हैं उन काशी के भगवान कालभैरव को मैं भजता हूं।

जो धर्म के मार्ग की रक्षा करते हैं और अधर्म के मार्ग का नाश करते हैं, जो सांसारिक कर्मों के जाल से मुक्ति प्रदान करते हैं। जो अपने शरीर पर लिपटे स्वर्ण वर्ण के सर्पों से सुशोभित हैं उस काशी के नाथ कालभैरव को मैं भजता हूं।

जिनके दोनों पैर, रत्न जड़ित पादुकाओं से दीप्तिमान हैं, जो नित्य, अद्वितीय, इष्ट देव और अति पावन हैं। जो अपने भयानक दांतों से मौत का भय दूर करते हैं उन काशी के नाथ कालभैरव को मैं भजता हूं।

जिनकी भयंकर अट्टहास की ध्वनि से कमल से उत्पन्न ब्रह्मा की सभी कृतियों की गति रुक जाती है, जिसकी भयानक दृष्टि पड़ने से पापों का अंत हो जाता है, जो अष्ट सिद्धियां प्रदान करने वाले हैं और जो गले में मुंड़ों की माला धारण करते हैं उस काशी के नाथ कालभैरव को मैं भजता हूं।

जो भूत-प्रेतों के स्वामी हैं और व्यापक कीर्ति प्रदान करने वाले हैं, जो काशीवासियों के पुण्य और पापों का शोधन करने वाले हैं, जो सत्य और नीति का मार्ग दिखाने वाले हैं, जो सम्पूर्ण जगत के स्वामी हैं, उस काशी के नाथ कालभैरव को मैं भजता हूं।

जो भी मनुष्य, मन को हर लेने वाले इस काल भैरव अष्टकम का पाठ करते हैं, वो ज्ञान और मुक्ति को प्राप्त करते हैं। उनके पुण्यों में वृद्धि होती है तथा वो मृत्यु के पश्चात शोक, मोह, लोभ, क्रोध और ताप आदि का नाश करने वाले भगवान काल भैरव के चरणों को प्राप्त करते हैं इसमे जरा भी संशय नहीं है।

काल भैरव अष्टकम पाठ के लाभ

  • काल भैरव अष्टकम का पाठ सभी प्रकार के शत्रुओं से हमारी रक्षा करता है।
  • काल भैरव अष्टकम का पाठ हर तरह के तंत्र-मंत्र और प्रेत बाधा से मनुष्य को दूर रखता है।
  • भगवान् काल भैरव के पूजन से राहु-केतु जैसे ग्रहों के दोष भी दूर हो जाते हैं।
  • काल भैरव अष्टकम का पाठ शीघ्र हीं भय का नाश कर देता है।
  • अगर आप मानसिक अशांति का अनुभव कर रहे हैं तो काल भैरव अष्टकम का पाठ जरूर करें। इस स्तोत्र के पाठ से मानसिक तनाव और चिंता समाप्त हो जाता है।

निष्कर्ष

तो दोस्तों, कैसी लगी काल भैरव अष्टकम से जुडी ये जानकारी। अगर अच्छी लगी हो तो अपने प्रियजनों के साथ इस पोस्ट को शेयर करना मत भूलें। आपकी एक लाइक और एक शेयर भी हिन्दू-धर्म को समर्पित Kubereshwar Dham Sehore के टीम को बल प्रदान करेगा, और समय समय पर हम आपके लिए ऐसे ही अद्भुत जानकारियां लाते रहेंगें।

Leave a Comment