बिल्वाष्टकम् स्तोत्र अर्थ सहित | Bilvashtakam in Hindi

बिल्वाष्टकम् (Bilvashtakam) स्तोत्र भगवान शिव को समर्पित एक प्रसिद्ध स्तोत्र है, जिसकी रचना आदि गुरु शंकराचार्य ने की थी। इस स्तोत्र के प्रत्येक श्लोक के माध्यम से आदि गुरु शंकराचार्य ने शिव पूजन के दौरान बिल्वपत्र (बेलपत्र) की महिमा और महत्व को बताया है।

आदि शंकराचार्य कृत इस बिल्वाष्टकम् स्तोत्र का पाठ करते हुए शिवजी को समर्पित किया गया एक बिल्वपत्र हजारों यज्ञों और दानों के समान फलदायी माना गया है। इस प्रकार शिवजी को चढ़ाया गया एक बेलपत्र भी समस्त पापों का नाश कर देता है और भक्त भगवान शिव की विशेष कृपा को प्राप्त करता है।

शिव बिल्वाष्टकम् स्तोत्र

बिल्वाष्टकम् भगवान् शिव को समर्पित आठ श्लोकों से बना एक अत्यंत प्रभावशाली स्तोत्र है, जिसकी रचना स्वयं आदि गुरु शंकराचार्य ने की थी। जिसमें बेलपत्री के माध्यम से शिवजी की पूजा करने के लाभ और प्रभावों का वर्णन किया गया है।

भगवान शिव को बेलपत्र चढ़ाते समय सही उच्चारण के साथ इस स्तोत्र का पाठ करना अत्यंत शुभ माना जाता है।

आप इस स्तोत्र का पाठ प्रतिदिन कर सकते हैं, परन्तु यदि यह संभव ना हो सके तो शिवरात्रि और श्रवण माह में इस स्तोत्र का पाठ अवश्य करें, इन विशेष अवसरों पर किया गया पाठ और भी अधिक फल प्रदान करने वाला माना गया है।

बिल्वाष्टकम्

बिल्वाष्टकम् अर्थ सहित

यह स्तोत्र मूलरूप से संस्कृत में लिखा है। परन्तु, हममे से कई भक्त इस स्तोत्र का पाठ संस्कृत में करने में कठिनाई महसूस करते होगें। अतः यहाँ हमने आप सभी के लिए बिल्वाष्टकम् अर्थ सहित भी लिखा है।

“बिल्वाष्टकम् अर्थ सहित” के माध्यम से आप इन श्लोकों के सरल हिंदी भावार्थ को जानेंगे। इस स्तोत्र को हिंदी में पढ़ कर भी आप भगवान् शिव की असीम कृपा को प्राप्त कर सकते हैं।

॥ बिल्वाष्टकम् अर्थ सहित ॥

त्रिदलं त्रिगुणाकारं त्रिनॆत्रं च त्रियायुधं ।
त्रिजन्म पापसंहारम् ऎकबिल्वं शिवार्पणं ॥१॥

अर्थ: तीन दलवाला बिल्वपत्र, जो सत्त्व, रज और तम, प्रकृति के इन तीन गुणों का प्रतीक है, जो भगवान् शंकर के तीन नेत्र सूर्य, चन्द्र तथा अग्रि के स्वरुप है, जो शिवजी के शिव के तीन अस्त्र के स्वरुप है, तथा जो तीनों जन्मोके पापो को नष्ट करनेवाला है, ऐसे बिल्वपत्र को मैं भगवान्‌ शिव को समर्पित करता हूँ ॥ 1॥

त्रिशाखैर्बिल्वपत्रैश्च ह्यच्छिद्रैः कोमलैः शुभैः ।
शिवपूजां करिष्यामि बिल्वपत्रं शिवार्पणम् ॥२॥

अर्थ: तीन पत्तियों वाले छिद्ररहित, निर्मल तथा मंगल प्रदान करने वाले बिल्वपत्र से मैं भगवान् शिव की पूजा करूँगा। ऐसा एक बिल्वपत्र मैं भगवान् शिव को समर्पित करता हूँ ॥ 2॥

अखण्ड बिल्वपत्रेण पूजिते नन्दिकेश्वरे ।
शुद्ध्यन्ति सर्वपापेभ्यो ह्येकबिल्वं शिवार्पणम् ॥३॥

अर्थ: अखंडित अर्थात पूर्ण बिल्वपत्र से नन्दिकेश्वर भगवान् की पूजा करने पर मनुष्य सभी पापों से मुक्त होकर शुद्ध हो जाते हैं। ऐसा एक बिल्वपत्र मैं भगवान् शिव को समर्पित करता हूँ ॥ 3॥

शालग्रामशिलामेकां विप्राणां जातु चार्पयेत् ।
सोमयज्ञ महापुण्यं एकबिल्वं शिवार्पणम् ॥४॥

अर्थ: मेरे द्वारा किया गया भगवान् शिव को यह बिल्वपत्र का समर्पण, ब्राह्मणों को शालिग्राम शिला के दान के समान तथा सोमयज्ञ के अनुष्ठान के समान महान् पुण्यशाली हो। अतः भगवान् शिव को मैं ऐसा बिल्वपत्र समर्पित करता हूँ ॥ 4॥

दन्तिकोटिसहस्त्राणि वाजपेयशतानि च ।
कोटिकन्यामहादानं बिल्वपत्रं शिवार्पणम् ॥५॥

अर्थ: हजारों करोड़ हाथियों का दान, सैकड़ों वाजपेय-यज्ञ के अनुष्ठान तथा करोड़ों कन्याओं के महादान के समान फल प्रदान करने वाला एक बिल्वपत्र मैं भगवान् शिव को समर्पित करता हूँ ॥ 5॥

लक्ष्म्याः स्तनत उत्पन्नं महादेवस्य च प्रियम् ।
बिल्ववृक्षं प्रयच्छामि बिल्वपत्रं शिवार्पणम् ॥६॥

अर्थ: जो बिल्ववृक्ष विष्णु-प्रिया देवी लक्ष्मी के वक्षःस्थल से प्रादुर्भूत हुआ है और जो भगवान महादेव को अत्यंत प्रिय है, उस बिल्ववृक्ष तथा उसके एक पवित्र पत्र को मैं भगवान शिव को अर्पित करता हूँ ॥ 6॥

दर्शनं बिल्ववृक्षस्य स्पर्शनं पापनाशनम् ।
अघोरपापसंहारं बिल्वपत्रं शिवार्पणम् ॥७॥

अर्थ: बिल्ववृक्ष का दर्शन और उसका स्पर्श समस्त पापों को नष्ट करने वाला है। घोर से घोर पापों का नाश करने वाला यह बिल्वपत्र मैं भगवान् शिव को समर्पित करता हूँ ॥ 7॥

मूलतो ब्रह्मरूपाय मध्यतो विष्णुरूपिणे ।
अग्रत: शिवरूपाय बिल्वपत्रं शिवार्पणम् ॥८॥

अर्थ: जिस बिल्वपत्र की जड़ ब्रह्मा स्वरूप, मध्य भाग विष्णु स्वरूप, और अग्र (शीर्ष) भाग शिव स्वरूप है, उस पवित्र बिल्वपत्र को मैं श्रद्धा से भगवान शिव को अर्पित करता हूँ ॥ 8॥

बिल्वाष्टकमिदं पुण्यं यः पठेच्छिवसन्निधौ ।
सर्वपापविनिर्मुक्तः शिवलोकमवाप्नुयात् ॥९॥

अर्थ: जो भगवान् शिव के समीप इस पुण्य प्रदान करने वाले “बिल्वाष्टक” का पाठ करता है , वह समस्त पापों से मुक्त होकर अन्त में शिवलोक को प्राप्त करता है ॥ 9॥

॥ इति बिल्वाष्टकं सम्पूर्णम् ॥

बिल्वाष्टकम् अर्थ सहित

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बिल्वाष्टकम् स्तोत्र PDF

अगर आप बिल्वाष्टकम् स्तोत्र को कहीं भी, कभी भी पढ़ना चाहते हैं, तो इसका PDF रूप आपके लिए बहुत उपयोगी हो सकता है। बिल्वाष्टकम् स्तोत्र PDF डाउनलोड करके आप इसे मोबाइल, लैपटॉप या प्रिंट के रूप में रख कर इसका प्रतिदिन पाठ कर सकते हैं।

Bilvashtakam PDF Download

शिव बिल्वाष्टकम् स्तोत्र पाठ के लाभ

शिव बिल्वाष्टकम् स्तोत्र का पाठ भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने का एक प्रभावशाली और सुगम माध्यम है। इस स्तोत्र में बेलपत्र की धार्मिक विशेषता तथा इसके द्वारा भगवान् शिव की आराधना का महत्व बताया गया है।

माना जाता है कि इस स्तोत्र का पाठ करने से समस्त पापों का नाश होता है और अंत में भक्त को शिवलोक की प्राप्ति होती है। यहाँ हम विस्तार से जानेंगे कि शिव बिल्वाष्टकम् स्तोत्र पाठ आपके जीवन को कैसे बदल सकता है।

घोर पापों से भी मिलती है मुक्ति

इस स्तोत्र के श्लोकों में भी बताया गया है कि बिल्वाष्टकम् स्तोत्र पाठ के साथ शिवजी को बिल्वपत्र अर्पित करने से जन्म-जन्मांतर के सभी ज्ञात-अज्ञात पाप नष्ट हो जाते हैं।

भगवान् शिव की विशेष कृपा की होती है प्राप्ति

यह स्तोत्र तथा बिल्वपत्र शिवजी को अत्यंत प्रिय है। अतः इस स्तोत्र के नियमित पाठ से भोलेनाथ की असीम अनुकंपा प्राप्त होती है, जो जीवन के हर संकट को हर लेती है।

मनोकामनाएँ होती हैं पूर्ण

इस स्तोत्र के नियमित और श्रद्धा पूर्ण पाठ से धन, स्वास्थ्य, संतान सुख, और रिश्तों में मधुरता जैसी सभी इच्छाएँ पूर्ण हो जाती हैं।

ग्रह दोष एवं नकारात्मक ऊर्जा से सुरक्षा

इस स्तोत्र का भक्तिपूर्वक किया गया पाठ वास्तु दोष, बुरी नज़र, और भूत-प्रेत बाधा से रक्षा करता है। बिल्वाष्टकम् स्तोत्र का पाठ मन की नकारात्मकता को दूर कर मानसिक शांति प्रदान करता है।

शिवलोक की होती है प्राप्ति

हिन्दू धर्म शास्त्रों के अनुसार, इस स्तोत्र का पाठ करने वाला मनुष्य मृत्यु के बाद जन्म-मरण के बंधन से मुक्त हो शिवलोक को प्राप्त करता है।

बिल्वाष्टकम् स्तोत्र पाठ विधि

बिल्वाष्टकम् स्तोत्र भगवान शिव को समर्पित एक अत्यंत पावन और प्रभावशाली स्तुति है, जिसमें आदि शंकराचार्य ने बिल्वपत्र की महिमा का वर्णन किया है। इसे पढ़ने से पूर्व कुछ सरल विधियों का ध्यान रखा जाये, तो इसका प्रभाव और अधिक शुभकारी हो सकता है।

तो चलिए अब हम जानते हैं Bilvashtakam स्तोत्र पाठ करने की सही विधि क्या है।

बिल्वाष्टकम् स्तोत्र पाठ विधि

  • प्रातःकाल जागकर शौच-स्नानादि से निवृत होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  • इस स्तोत्र के पाठ के लिए किसी शांत और पवित्र स्थान जैसे कि मंदिर या घर के पूजा स्थान का चयन करें।
  • अपने समक्ष शिवलिंग, शिव-पार्वती की मूर्ति या चित्र को पूजा स्थान पर स्थापित करें।
  • तत्पश्चात शिवजी के समक्ष धूप तथा दीप प्रज्वलित करें।
  • अब सर्वप्रथम शांत मन से बैठकर हाथ में जल लेकर इस प्रकार संकल्प करें – “ॐ विष्णुर्विष्णुर्विष्णुः! अद्य शुभ दिने… (तिथि, अपना नाम और स्थान बोलें) मम सर्व पापक्षयपूर्वक श्री महादेव प्रीत्यर्थं बिल्वाष्टकम् स्तोत्र पाठं करिष्ये।”
  • फिर श्रद्धा पूर्वक इस स्तोत्र के 8 श्लोकों का संस्कृत या हिंदी में धीरे-धीरे पाठ करें।
  • प्रत्येक श्लोक के अंत में एक साफ तथा अखंड बिल्वपत्र लेकर शिवलिंग पर चढ़ाएं।
  • पाठ के अंत में शिवलिंग पर जल अर्पित कर “ॐ जय शिव ओंकारा” या “कर्पूरगौरं” आरती गाएँ।
  • भगवान् शिव को समर्पित इस बिल्वाष्टकम् स्तोत्र का पाठ पूर्ण श्रद्धा और शुद्ध भावना से करना सबसे महत्वपूर्ण है।
  • प्रतिदिन या फिर प्रत्येक सोमवार, श्रावण मास, प्रत्येक शिवरात्रि तथा प्रदोष के दिन इस स्तोत्र का पाठ उत्तम माना गया है।

बिल्वाष्टकम् FAQ

बिल्वाष्टकम् स्तोत्र क्या है?

बिल्वाष्टकम् भगवान शिव को समर्पित 8 श्लोकों वाला एक स्तोत्र है, जो भगवान् शिव के पूजन में बेलपत्र के महत्व को बताता है। यह स्तोत्र पापों के नाश तथा मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए पाठ किया जाता है।

बिल्वाष्टकम् स्तोत्र कब पढ़ सकते हैं?

बिल्वाष्टकम् का पाठ सोमवार, शिवरात्रि, श्रावण मास और विशेष रूप से महाशिवरात्रि के दिन करना अत्यंत शुभ माना जाता है। इसे प्रातःकाल ब्रह्म-मुहूर्त में स्नान के बाद घर अथवा मंदिर में पढ़ा जाता है।

क्या महिलाएं और बच्चे भी पाठ कर सकते हैं?

बिल्कुल! बिल्वाष्टकम् स्तोत्र सभी उम्र तथा लिंग के लोगों के लिए है। महिलाएं या बच्चे, कोई भी इसका पाठ कर सकता है।

बिल्वाष्टकम् स्तोत्र में किस वृक्ष का वर्णन किया गया है?

बिल्वाष्टकम् स्तोत्र में बिल्व वृक्ष (बेल वृक्ष) का वर्णन किया गया है। यह स्तोत्र बिल्व वृक्ष के पत्तों (बेलपत्री) की महिमा और इसे भगवान शिव को अर्पित करने के महत्व को समझाता है।

निष्कर्ष

बिल्वाष्टकम् स्तोत्र भगवान शिव की भक्ति का सरल और प्रभावशाली माध्यम है। जो भी श्रद्धा और समर्पण के साथ शिव बिल्वाष्टकम् का पाठ करता है, उसे भगवान् शिव की असीम कृपा की प्राप्त होती है। यदि आप Bilvashtakam को गहराई से समझना चाहते हैं, तो बिल्वाष्टकम् अर्थ सहित पाठ अवश्य करें।

चाहे आप “Bilvashtakam Lyrics” को संस्कृत में पढ़ें या हिंदी अर्थ के साथ पढ़ें, यह स्तोत्र ना सिर्फ पापों का नाश करता है, बल्कि मनोकामनाओं की पूर्ति और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार भी करता है।

अगर आपने अभी तक इस स्तोत्र को अपनी दिनचर्या में शामिल नहीं किया है, तो “बिल्वाष्टकम् स्तोत्र PDF” डाउनलोड करके आज ही शुरुआत करें।

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