या देवी सर्वभूतेषु मंत्र PDF | Ya Devi Sarva Bhuteshu in Hindi

आज के इस पोस्ट के माध्यम से आप देवी को समर्पित या देवी सर्वभूतेसु मंत्र PDF प्रारूप में सेव कर सकते हैं तथा साथ हीं साथ इस मंत्र का हिंदी अर्थ भी जान सकेगें।

या देवी सर्वभूतेसु मंत्र तंत्रोक्तं देवी सूक्तम से लिया गया है जो की मार्कण्डेय पुराण का एक हिस्सा है। इस मंत्र के माध्यम से वैदिक ऋषि हमे ये बताना चाहते हैं कि देवी की उपस्थिति समस्त ब्रह्माण्ड में हर समय, हर वस्तु में तथा हर परिस्थिति में है। माता हीं समस्त सजीव और निर्जीव के भीतर चेतना रूप में हर समय विराजमान रहती हैं।

या देवी सर्वभूतेषु मंत्र image
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या देवी सर्वभूतेषु मंत्र PDF

यदि आप अपने मोबाइल या कंप्यूटर में दुर्गा सप्तसती के तन्त्रोक्तं देवीसूक्तम् में वर्णित या देवी सर्वभूतेषु मंत्र PDF प्रारूप में सेव करना चाहते हैं तो नीचे दिए गए बटम को Click करें।

या देवी सर्वभूतेषु मंत्र का अर्थ | Ya Devi Sarva Bhuteshu Lyrics in Hindi

ऐसा कहा जाता है कि मन्त्रों का अर्थ जान लेने से मन्त्र की शक्ति और भी ज्यादा हो जाती है। तो अब हम देवी सूक्तम में वर्णित इन देवी मन्त्रों का हिंदी में अर्थ जानेगें।

या देवी सर्वभुतेषु विद्या रूपेण संस्थिता

Ya Devi Sarva Bhuteshu Lyrics in Hindi

नमो देव्यै महादेव्यै शिवायै सततं नमः ।
नमः प्रकृत्यै भद्रायै नियताः प्रणताः स्म ताम् ॥ १ ॥

देवी, आपको मेरा नमस्कार है, महादेवी शिवा को सर्वदा हीं नमस्कार है । प्रकृति और भद्रा को प्रणाम है। हमलोग नियमपूर्वक माँ जगदम्बा को नमस्कार करते हैं ॥ 1 ॥

रौद्रायै नमो नित्यायै गौर्यै धात्र्यै नमो
ज्योत्स्नायै चेन्दुरूपिण्यै सुखायै सततं नमः ॥ २ ॥

रौद्राको नमस्कार है। नित्या, गौरी एवं धात्री को बारंबार नमस्कार है। ज्योत्स्नामयी, चन्द्र-रूपिणी एवं सुख-स्वरूपा देवी को सततरूप से प्रणाम है ॥ 2 ॥

कल्याण्यै प्रणतां वृद्ध्यै सिद्ध्यै कुर्मो नमो नमः ।
नैर्ऋत्यै भूभृतां लक्ष्म्यै शर्वाण्यै ते नमो नमः ॥ ३ ॥

शरणागतों का कल्याण करनेवाली वृद्धि एवं सिद्धिरूपा देवी को हम बारंबार नमस्कार करते हैं। नैर्ऋती (राक्षसोंकी लक्ष्मी), राजाओं की लक्ष्मी तथा शर्वाणी (शिवपत्नी) – स्वरूपा आप जगदम्बा को बार-बार नमस्कार है ॥ 3 ॥

दुर्गायै दुर्गपारायै सारायै सर्वकारिण्यै ।
ख्यात्यै तथैव कृष्णायै धूम्रायै सततं नमः ॥ ४ ॥

दुर्गा, दुर्गपारा (दुर्गम संकट से पार उतारनेवाली), सारा (सबकी सारभूता), सर्वकारिणी, ख्याति, कृष्णा और धूम्रादेव को सर्वदा मेरा नमस्कार है ॥ 4 ॥

अतिसौम्यातिरौद्रायै नतास्तस्यै नमो नमः ।
नमो जगत्प्रतिष्ठायै देव्यै कृत्यै नमो नमः ॥ ५ ॥

अत्यन्त सौम्य तथा अत्यन्त रौद्ररूपा देवी को हम नमस्कार करते हैं, उन्हें हमारा बार बार प्रणाम है। जगत की आधारभूता कृतिदेवी को बार-बार नमस्कार है ॥ 5 ॥

या देवी सर्वभूतेषु विष्णुमायेति शब्दिता ।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ॥ ६ ॥

जो देवी सभी जीवों में विष्णुमाया के नाम से कही जाती हैं, उनको नमस्कार है, उनको नमस्कार है, उनको बार-बार नमस्कार है ॥ 6 ॥

या देवी सर्वभूतेषु चेतनेत्यभिधीयते ।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ॥ ७ ॥

जो देवी सभी प्राणियों में चेतना कहलाती हैं, उनको नमस्कार है, उनको नमस्कार है, उनको बार-बार नमस्कार है ॥ 7 ॥

या देवी सर्वभूतेषु बुद्धिरूपेण संस्थिता ।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ॥ ८ ॥

जो देवी सभी प्राणियों में बुद्धिरूप से स्थित हैं, उनको नमस्कार है, उनको नमस्कार है, उनको बार-बार नमस्कार है ॥ 8 ॥

या देवी सर्वभूतेषु निद्रारूपेण संस्थिता ।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ॥ ९ ॥

जो देवी सभी प्राणियों में निद्रारूप से स्थित हैं, उनको नमस्कार है, उनको नमस्कार है, उनको बार-बार नमस्कार है ॥ 9 ॥

या देवी सर्वभूतेषु क्षुधारूपेण संस्थिता ।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ॥ १० ॥

जो देवी सभी प्राणियों में क्षुधारूप से स्थित हैं , उनको नमस्कार है, उनको नमस्कार है, उनको बार-बार नमस्कार है ॥ 10 ॥

या देवी सर्वभूतेषुच्छायारूपेण संस्थिता ।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ॥ ११ ॥

जो देवी सभी प्राणियों में छायारूप से स्थित हैं, उनको नमस्कार है, उनको नमस्कार है, उनको बार-बार नमस्कार है ॥ 11 ॥

या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता ।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ॥ १२ ॥

जो देवी सभी प्राणियों में शक्तिरूप से स्थित हैं, उनको नमस्कार है, उनको नमस्कार है, उनको बार-बार नमस्कार है ॥ 12 ॥

या देवी सर्वभूतेषु तृष्णारूपेण संस्थिता ।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ॥ १३ ॥

जो देवी सभी प्राणियों में तृष्णारूप से स्थित हैं , उनको नमस्कार है, उनको नमस्कार है, उनको बार-बार नमस्कार है ॥ 13 ॥

या देवी सर्वभूतेषु क्षान्तिरूपेण संस्थिता।
नमस्तस्थे नमस्तस्थे नमस्तस्थे नमो नमः ॥ १४॥

जो देवी सभी प्राणियों में क्षान्ति (क्षमा) – रूप से स्थित हैं, उनको नमस्कार है, उनको नमस्कार है, उनको बार-बार नमस्कार है ॥ 14 ॥

या देवी सर्वभूतेषु जातिरूपेण संस्थिता।
नमस्तस्थे नमस्तस्थे नमस्तस्थे नमो नमः॥ १५॥

जो देवी सभी प्राणियों में जातिरूप से स्थित हैं, उनको नमस्कार है, उनको नमस्कार है, उनको बार-बार नमस्कार है ॥ 15 ॥

या देवी सर्वभूतेषु लज्जारूपेण संस्थिता।
नमस्तस्ये नमस्तस्थे नमस्तस्थे नमो नमः॥ १६॥

जो देवी सभी प्राणियों में लज्जारूप से स्थित हैं, उनको नमस्कार है, उनको नमस्कार है, उनको बार-बार नमस्कार है ॥ 16 ॥

या देवी सर्वभूतेषु शान्तिरूपेण संस्थिता।
नमस्तस्थे नमस्तस्थे नमस्तस्थे नमो नमः॥ १७॥

जो देवी सभी प्राणियों में शान्तिरूप से स्थित हैं, , उनको नमस्कार है, उनको नमस्कार है, उनको बार-बार नमस्कार है ॥ 17 ॥

या देवी सर्वभूतेषु श्रद्धारूपेण संस्थिता।
नमस्तस्ये नमस्तस्थे नमस्तस्थे नमो नमः॥ १८॥

जो देवी सभी प्राणियों में श्रद्धारूप से स्थित हैं, उनको नमस्कार है, उनको नमस्कार है, उनको बार-बार नमस्कार है ॥ 18 ॥

या देवी सर्वभूतेषु कान्तिरूपेण संस्थिता।
नमस्तस्थे नमस्तस्थे नमस्तस्थे नमो नमः॥ १९॥

जो देवी सभी प्राणियों में कान्तिरूप से स्थित हैं, उनको नमस्कार है, उनको नमस्कार है, उनको बार-बार नमस्कार है ॥ 19 ॥

या देवी सर्वभूतेषु लक्ष्मी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्ये नमस्तस्थे नमस्तस्थे नमो नमः॥ २०॥

जो देवी सभी प्राणियों में लक्ष्मीरूप से स्थित हैं, उनको नमस्कार है, उनको नमस्कार है, उनको बार-बार नमस्कार है ॥ 20 ॥

या देवी सर्वभूतेषु वृत्तिरूपेण संस्थिता।
नमस्तस्थे नमस्तस्थे नमस्तस्थे नमो नमः॥ २१॥

जो देवी सभी प्राणियों में वृत्तिरूप से स्थित हैं, उनको नमस्कार है, उनको नमस्कार है, उनको बार-बार नमस्कार है ॥ 21 ॥

या देवी सर्वभूतेषु स्मृतिरूपेण संस्थिता।
नमस्तस्ये नमस्तस्थे नमस्तस्थे नमो नमः॥ २२॥

जो देवी सभी प्राणियों में स्मृतिरूप से स्थित हैं , उनको नमस्कार है, उनको नमस्कार है, उनको बार-बार नमस्कार है ॥ 22 ॥

या देवी सर्वभूतेषु दयारूपेण संस्थिता।
नमस्तस्ये नमस्तस्थे नमस्तस्थे नमो नमः॥ २३ ॥

जो देवी सभी प्राणियों में दयारूप से स्थित हैं, उनको नमस्कार है, उनको नमस्कार है, उनको बार-बार नमस्कार है ॥ 23 ॥

या देवी सर्वभूतेषु तुष्टिरूपेण संस्थिता।
नमस्तस्ये नमस्तस्थे नमस्तस्थये नमो नमः॥ २४ ॥

जो देवी सभी प्राणियों में तुष्टिरूप से स्थित हैं, उनको नमस्कार है, उनको नमस्कार है, उनको बार-बार नमस्कार है ॥ 24 ॥

या देवी सर्वभूतेषु मातृरूपेण संस्थिता।
नमस्तस्ये नमस्तस्थे नमस्तस्थे नमो नमः॥ २५ ॥

जो देवी सभी प्राणियों में मातारूप से स्थित हैं, उनको नमस्कार है, उनको नमस्कार है, उनको बार-बार नमस्कार है ॥ 25 ॥

या देवी सर्वभूतेषु भ्रान्तिरूपेण संस्थिता।
नमस्तस्थये नमस्तस्थे नमस्तस्ये नमो नमः॥ २६ ॥

जो देवी सभी प्राणियों में भ्रान्तिरूप से स्थित हैं, उनको नमस्कार है, उनको नमस्कार है, उनको बार-बार नमस्कार है ॥ 26 ॥

इन्द्रियाणामधिष्ठात्री भूतानां चाखिलेषु या।
भूतेषु सततं तस्ये व्याप्तिदेव्ये नमो नमः:॥ २७ ॥

जो सभी प्राणियों के इन्द्रियवर्ग की अधिष्ठात्री देवी तथा सभी जीवों में सदा व्याप्त रहने वाली हैं, उन व्याप्ति देवी को बार-बार नमस्कार है ॥ 27 ॥

चितिरूपेण या कृत्स्नमेतद्व्याप्य स्थिता जगत्‌।
नमस्तस्ये नमस्तस्ये नमस्तस्थे नमो नमः॥ २८ ॥

जो देवी चैतन्यरूप से इस सम्पूर्ण जगत्‌ को व्याप्त करके स्थित हैं, उनको नमस्कार, उनको नमस्कार, उनको बार-बार नमस्कार है ॥ 28 ॥

स्तुता सुरैः पूर्वमभीष्टसंश्रया
त्तथा सुरेन्द्रेण दिनेषु सेविता।
करोतु सा नः शुभहेतुरीश्वरी
शुभानि भद्राण्यभिहन्तु चापद:॥ २९ ॥

पूर्वकाल में अपने अभीष्ट की प्राप्ति होने से देवताओं ने जिनकी स्तुति की तथा देवराज इन्द्र ने कई दिनों तक जिनका सेवन किया, वह कल्याण की साधनभूता ईश्वरी हमारा कल्याण तथा मंगल करे और सारी आपत्तियों का नाश कर डाले ॥ 29 ॥

या साम्प्रतं चोद्धतदैत्यतापितै
रस्माभिरीशा च सुरैर्नमस्यते।
या च स्मृता तत्क्षणमेव हन्ति नः
सर्वापदो भक्तिविनग्रमूर्तिभि: ॥ ३० ॥

उद्दण्ड दैत्यों से सताये हुए हम सभी देवता जिन परमेश्वरी को इस समय नमस्कार करते हैं तथा जो भक्ति से विनम्र पुरुषों द्वारा स्मरण की जाने पर तत्काल ही सम्पूर्ण विपत्तियों का नाश कर देती हैं, वे जगदम्बा हमारा संकट दूर करें ॥ 30 ॥

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विद्या पाने हेतु मंत्र

जो भी व्यक्ति विद्या और ज्ञान की देवी माँ सरस्वती की सरल मंत्र के माध्यम से आराधना करना चाहते हैं वो केवल “या देवी सर्वभुतेषु विद्या रूपेण संस्थिता” मंत्र का नित्य प्रतिदिन जाप करना शुरू कर दें। इस मंत्र का जाप करते समय माँ सरस्वती के चित्र को सामने रखें या फिर माता का मन हीं मन स्मरण करें।

इस मंत्र का कम से कम ग्यारह बार जाप करना उत्तम होगा।

मंत्र

या देवी सर्वभुतेषु विद्या रूपेण संस्थिता ।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ॥

अर्थ : हे विद्या की देवी सरस्वती, आप विद्या, ज्ञान, चेतना के रूप में सभी प्राणियों विराजमान हैं। आपको नमस्कार है, नमस्कार है, बारम्बार नमस्कार है।

माता के इस मंत्र के जाप से विद्या और ज्ञान की प्राप्ति होती है तथा समाज में प्रतिष्ठा बढ़ती है। “या देवी सर्वभुतेषु विद्या रूपेण संस्थिता” मंत्र जाप मनुष्य के जीवन में समृद्धि लाता है।

धन पाने हेतु मंत्र

जो भी मनुष्य जीवन में धन पाने के लालसा रखते हैं उन्हें माता के लक्ष्मी स्वरुप का ध्यान कर “या देवी सर्वभुतेषु लक्ष्मी रूपेण संस्थिता” मंत्र का जाप नित्य प्रतिदिन नियमित रूप से करना चाहिए ।

सुबह शौच स्न्नान आदि से निवृत होकर स्वक्ष वस्त्र धारण करें। तत्पश्चात माता लक्ष्मी के चित्र या प्रतिमा के समक्ष घी का दीपक जलाएं और नीचे दिए गए “या देवी सर्वभुतेषु लक्ष्मी रूपेण संस्थिता” मंत्र का ज्यारह बार जाप करें।

मंत्र

या देवी सर्वभुतेषु लक्ष्मी रूपेण संस्थिता ।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ॥

अर्थ : जो देवी सभी प्राणियों में लक्ष्मी और वैभव के रूप में विराजमान हैं, उनको नमस्कार है, नमस्कार है, बारंबार नमस्कार है।

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निष्कर्ष

दुर्गा सप्तशती के अनुसार, मां दुर्गा का सभी प्राणियो में शक्ति, दया, श्रद्धा, बुद्धि, शांति, स्मृति तथा तुष्टि रूप प्राकट्य होता है। नवरात्री के नौ दिन माता के इन्हीं रूपों को जगा कर हम अपने जीवन को सकारात्मकता की ओर ले जा सकते हैं।

तो कैसी लगी या देवी सर्वभूतेसु मंत्र PDF से जुड़ी ये रोचक जानकारी। कुबरेश्वर धाम की पूरी टीम आप सभी से उम्मीद करेगी कि इस मन्त्र का जाप आप जरूर करेगें।

या देवी सर्वभूतेसु मंत्र PDF के इस पोस्ट को अपने प्रिय जनों के साथ शेयर जरूर करें।

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