श्री शिवाय नमस्तुभ्यं मंत्र के फायदे, उत्पत्ति, अर्थ, और महत्व

अगर आप भी श्री शिवाय नमस्तुभ्यं मंत्र की उत्पत्ति, श्री शिवाय नमस्तुभ्यं मंत्र के फायदे, श्री शिवाय नमस्तुभ्यं मंत्र का महत्व तथा अर्थ, श्री शिवाय नमस्तुभ्यं का जाप कब, कैसे और कितने बार करना चाहिए जैसी जानकारी पाना चाहते हैं तो यकीन मानिये आप बिलकुल सही जगह पे हैं।

वैसे तो वेद और पुराणों में हजारों ऐसे मंत्र उल्लेखित हैं जिनसे भगवान शिव की स्तुति की जाती है, लेकिन यहां हम आपको एक बहुत ही सरल मंत्र की जानकारी देने जा रहे हैं जो सरल होने साथ हीं साथ अत्यंत शक्तिशाली भी है। और वो महामंत्र है श्री शिवाय नमस्तुभ्यं, जिसका वर्णन हमें शिवमहापुराण में मिलता है।

वर्तमान समय में पंडित प्रदीप जी मिश्रा के माध्यम से शिव महापुराण का ये मूल मंत्र “श्री शिवाय नमस्तुभ्यं” हर शिव भक्तों के सामने लायी गयी है।

श्री शिवाय नमस्तुभ्यं मंत्र की उत्पत्ति

कुछ लोगों ने कई बार इस मंत्र पे प्रश्न खड़े किये हैं। परन्तु यदि आप गहराई से अध्यन करें तो ये पायेगें कि सनातन धर्म के कई पुराणों में ऐसा उल्लेख है कि ये मंत्र भगवान् शिव के महामृत्युंजय मंत्र के तरह हीं प्रभावशाली है।

साथ हीं साथ इस मंत्र के जाप के लिए किसी विशेष प्रकार के आयोजन और विधि विधान की भी आवश्यकता नहीं होती है।

भगवान् शिव को समर्पित शिव महापुराण के 23वें अध्याय के 7वें श्लोक में श्री शिवाय नमस्तुभ्यं महामंत्र का वर्णन मिलता है जो इस प्रकार है।

श्री शिवाय नमस्तुभ्यं मुखं व्याहरते यदा ।
तन्मुखं पावनं तीर्थम सर्वपापविनाशनम ।।

शिव महापुराण अध्याय २३, श्लोक ७

अर्थात – जो भी नित्य श्री शिवाय नमस्तुभयं का अपने मुख से उच्चारण करता है, उनका मुख पावन तीर्थों के समान पवित्र हो जाता है। उस व्यक्ति के मुख के दर्शन मात्र से हीं समस्त पापों का नाश हो जाता है।

शिव महापुराण, लिंग पुराण, स्कन्द पुराण के अलावा कई ऐसे धार्मिक ग्रन्थ हैं जिसमे ये उल्लेख मिलता है कि श्री शिवाय नमस्तुभ्यं का जाप मनुष्यों के साथ साथ देवताओं, असुरों और गंधर्वों को भी सिद्धि प्रदान करने वाला होता है।

लिंग पुराण में तो यहाँ तक वर्णन मिलता है कि 33 कोटि देवता भी महादेव को प्रसन्न करने हेतु इसी “श्री शिवाय नमस्तुभ्यं” मंत्र का जप करते हैं।

श्री शिवाय नमस्तुभ्यं मंत्र के फायदे

श्री शिवाय नमस्तुभ्यं मंत्र के फायदे

सनातन धर्म में आदि काल से हीं मंत्रों का विशेष महत्व रहा है। शास्त्रों के अनुसार ऐसी मान्यता है कि ऐसी कोई कठिनाई, कोई विपत्ति और कोई पीड़ा नहीं है जिसका निवारण मंत्र के द्वारा नहीं हो सकता।

अगर मंत्रों का प्रयोग पुरे विधि विधान और निष्ठा के साथ किया जाये तो मनुस्य किसी भी प्रकार के लाभ को प्राप्त कर सकता है।

तो चलिए अब हम ये जानते हैं की श्री शिवाय नमस्तुभ्यं मंत्र के फायदे क्या क्या हैं।

महामृत्युंजय मंत्र के समान प्रभावी

शिव महापुराण में वर्णित “श्री शिवाय नमस्तुभ्यं” महामृत्युंजय मंत्र के समान प्रभावशाली होने के साथ साथ बहुत सरल भी है। कई जगह ऐसा उल्लेख मिलता है कि इस मंत्र का 1 जाप महामृत्युंजय मंत्र के 1000 जाप के बराबर होता है।

मानसिक चिन्ताओं और अनिद्रा से मुक्ति

यदि आप मानसिक रूप से कमजोर या परेशान रहते हैं या फिर मन में अक्सर बुरे-बुरे विचार आते रहते हैं। रात को बुरे सपने आते हों औरअच्छी नींद नहीं आती हो तो श्री शिवाय नमस्तुभ्यं के जाप से ये सारी समस्याएं समाप्त हो जाती हैं।

असाध्य रोगों का शमन करने वाला मंत्र

इस मंत्र के जाप से गंभीर से गंभीर बीमारियों में भी आराम मिलता है। पंडित प्रदीप मिश्रा जी के अनुसार इस मंत्र के जाप से लिवर के रोग, किडनी के रोग, ह्रदय के रोग तथा लकवा जैसी भयानक बीमारियों को भी ठीक करना संभव है।

सुख समृद्धि और धन प्रदान करने वाला मंत्र

जीवन में सुख समृद्धि और धन प्राप्ति के लिए भगवान महादेव के श्री शिवाय नमस्तुभ्यं मंत्र की एक माला का जाप अवश्य करें, आपको निश्चित रूप से सफलता मिलेगी।

मनोकामना पूर्ति करता है ये मंत्र

यदि इस मंत्र को सच्चे हृदय से और भक्ति भाव के साथ जपा जाये तो आपकी मनोकामना पूर्ण होते देर नहीं लगती। जीवन में मनोवांछित फल की प्राप्ति के लिए भगवान शिव के इस मंत्र का उच्चारण 108 बार करें।

सकारात्मक ऊर्जा का होता है संचार

यह मंत्र हमारे मस्तिष्क में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है तथा कार्यों और मनोकामनाओं की सिद्धि में सहायक सिद्ध होता है। इस मंत्र के जाप से व्यक्ति की मानसिक ऊर्जा में वृद्धि होती है और वह अपने लक्ष्य की ओर आसानी से अग्रसर हो जाते हैं।

मोक्ष की होती है प्राप्ति

शिव महापुराण में इस मंत्र के लिए लिखा है कि “श्री शिवाय नमस्तुभ्यं” मंत्र का जाप जो मुख करता है वो तड़ जाता है और उसका फिर संसार में दोबारा जन्म नहीं होता।

शिव महापुराण में तो यहाँ तक वर्णन मिलता है कि इस मंत्र को बोलने वाला का मुख का मात्र दर्शन करलो तो 71 पीढ़ी भी तड़ जाती है।

श्री शिवाय नमस्तुभ्यं मंत्र का अर्थ

श्री शिवाय नमस्तुभ्यं मंत्र का अर्थ

शिव महापुराण में भगवान शिव की आराधना का मूल और सबसे सरल मंत्र है ‘श्री शिवाय नमस्तुभ्यं’ अर्थात मैं अपने आराध्य भगवान शिव को नमन करता हूं।

शिवाय अर्थात भगवान शिव को

नमस्तुभ्यं अर्थात नमस्कार है

इस मंत्र का शाब्दिक अर्थ इतना ही है कि “हे भगवान् श्री शिव, आपको मेरा नमस्कार है”।

श्री शिवाय नमस्तुभ्यं मंत्र की महिमा

पंडित प्रदीप जी मिश्रा के अनुसार, शिव महापुराण में वर्णित श्री शिवाय नमस्तुभ्यं मंत्र कोई साधारण मंत्र नहीं है। जैसे श्री कृष्ण गोपी गीत से बहुत प्रसन्न हो जाते हैं तथा श्री राम, हनुमान चालीसा से बहुत प्रसन्न होते हैं। ठीक वैसे हीं महादेव श्री शिवाय नमस्तुभ्यं के जाप से अति प्रसन्न हो जाते हैं।

शिव महापुराण में ये भी कहा गया है कि इस कलि-काल में “श्री शिवाय नमस्तुभ्यं” जैसे महामंत्र का निरंतर जप हीं ईश्वर प्राप्ति का एक मात्र रास्ता होगा।

श्री शिवाय नमस्तुभ्यं मंत्रमात्रं जपेन्नरः ।
दुःस्वप्नं न भवेत्तत्र सुस्वप्नमुपजायते ।।

श्री शिव महापुराण

आपके इष्ट देवता या देवी चाहे कोई भी हों, आपको चाहे कोई गुरु मंत्र मिला हो या नहीं मिला हो, इस कलि काल में भगवान् शिव के कृपा बिना आपके ह्रदय में कभी किसी के लिए भक्ति नहीं जन्म सकती। अतः आप भगवान् शिव के इस “श्री शिवाय नमस्तुभ्यं” या फिर “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप जरूर करें।

हिन्दू शास्त्रों के अनुसार जो भी व्यक्ति अपने मुख से भगवान शंकर के नाम का जाप करते हैं, उनका मुख देखने मात्र से ही एक तीर्थ यात्रा पूरी हो जाती है तथा उसके फल की भी प्राप्ति हो जाती है।

अगर आपने भगवान शंकर को केवल प्रणाम मात्र भी कर लिया तो ऐसा कहा गया है कि आपका वो प्रणाम 33 कोटि देवताओं को तत्काल चला जाता है।

श्री शिवाय नमस्तुभ्यं का जाप कैसे करें ?

कई लोगों के मन में ये प्रश्न होगा कि क्या ये मंत्र नहाने के बाद हीं कर सकते हैं। अगर नहाने के पहले मंत्र बोलें या कभी मुख से निकल जाये तो क्या करें।

इस प्रश्न के उत्तर में पंडित प्रदीप जी मिश्रा कहते हैं कि जिस प्रकार मृत्यु का कोई समय निश्चित नहीं होता उसी प्रकार आपके मंत्र जाप का भी कोई समय नहीं हो सकता। आप किस भाव से, किस चित्तवृत्ति से, किस ह्रदय से इस मंत्र का जाप कर रहें हैं बस ये हीं सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है।

इस मंत्र का जाप आप उठते बैठते कभी भी कर सकते हैं, चाहे आप जागृत अवस्था में हैं, स्नान कर रहे हैं, इधर उधर घूम रहे हैं, कोई भी काम आप कर रहे हैं, आप इस मंत्र का जाप कर सकते हैं।

श्री शिवाय नमस्तुभ्यं का जाप कैसे करें

श्री शिवाय नमस्तुभ्यं मंत्र का जाप की विधि

परन्तु यदि फिर भी आप इस मंत्र को वैदिक विधि विधान के साथ करना चाहते हैं तो इसके जाप की सही विधि हम आपको बताने जा रहे हैं।

श्री शिवाय नमस्तुभ्यं मंत्र का जाप कब करें ?

किसी भी मंत्र के जाप का सबसे प्रभावी समय ब्रह्म-मुहूर्त का समय होता है। अतः श्री शिवाय नमस्तुभ्यं मंत्र के जाप के लिए भी आप ब्रह्म-बेला में जाग जाएँ।

श्री शिवाय नमस्तुभ्यं मंत्र का जाप कैसे करें ?

  • शौच-स्नानादि से निवृत हो स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  • आप इस मंत्र को किसी भी शिव मंदिर या फिर अपने घर के मंदिर के सामने भी बैठ कर कर सकते हैं।
  • श्री शिवाय नमस्तुभ्यं मंत्र के जाप के लिए कुशा या फिर ऊन के आसन का प्रयोग करें।
  • मंत्र का जाप सही उच्चारण के साथ करें। चूँकि, श्री शिवाय नमस्तुभ्यं भगवान् शंकर का अत्यंत सरल मंत्र है, अतः इस मंत्र के सही उच्चारण में किसी को भी कोई दिक्कत नहीं आने वाली है।
  • मंत्र का जाप करते समय इस बात का ख्याल जरूर रखें कि आपका मन शांतऔर निश्छल हो।
  • श्री शिवाय नमस्तुभ्यं मंत्र का जाप रुद्राक्ष के माला से करें।

श्री शिवाय नमस्तुभ्यं का जाप कितनी बार करें ?

भगवान् आशुतोष के इस “श्री शिवाय नमस्तुभ्यं” मंत्र का जाप प्रतिदिन 108 बार अवश्य करें।

निष्कर्ष

श्री शिव महापुराण के अनुसार हजारों औषधि की भी औषधि है ये श्री शिवाय नमस्तुभ्यं मंत्र का जाप। जिसे आप कभी भी और कहीं भी जप सकते हैं।

कलियुग केवल नाम आधारा ।
सुमर सुमर नर उतरहिं पारा ।।

हिन्दू धर्म शास्त्र

अर्थात इस कलि-काल में भगवान् के नाम का जाप हीं ईश्वर की सबसे बड़ी साधना है। कलियुग में ईश्वर नाम का सुमिरन हीं मनुष्य को भव सागर से पार कराने की क्षमता रखता है।

शिव नाम के मंत्र “श्री शिवाय नमस्तुभ्यं” की भी ऐसी हीं महिमा है कि ये पाप को क्षण भर में जला कर के रख कर देती है।

तो कैसी लगी श्री शिवाय नमस्तुभ्यं से सम्बंधित ये जानकारी। हमने यहाँ आपको श्री शिवाय नमस्तुभ्यं मंत्र के फायदे, श्री शिवाय नमस्तुभ्यं मंत्र का महत्व, श्री शिवाय नमस्तुभ्यं मंत्र का अर्थ तथा श्री शिवाय नमस्तुभ्यं मंत्र की उत्पत्ति के बारे में बताने की पूरी कोशिश की है।

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