श्री गणेश को समर्पित संकटनाशन गणेश स्तोत्र के नियमित पाठ से बड़े से बड़े संकट और कष्ट भी दूर हो जाते हैं। आज के इस पोस्ट में हम नारद पुराण में वर्णित संकटनाशन गणेश स्तोत्र हिंदी अर्थ सहित जानेगें।
अगर आपके जीवन से कष्ट, दुःख और संकट दूर नहीं हो रहे हों तो भगवान् श्री गणेश को समर्पित संकटनाशन गणेश स्तोत्र का पाठ जरूर करें।
संकटनाशन गणेश स्तोत्र संस्कृत में
हिन्दू धर्म शास्त्रों में ऐसा वर्णन मिलता है कि जब एक बार नारद मुनि घनघोर संकट में फँस गए थें तब भगवान् शिव के निर्देशानुसार महर्षि नारद ने संकटनाशन गणेश स्तोत्र की थी। तत्पश्चात श्री गणेश ने उनके समस्त संकटों को हर लिया था।
यह स्तोत्र मूल रूप से संस्कृत में लिखा गया है जिसे अत्यंत सरलता से पढ़ा और याद किया जा सकता है। तो चलिए संकटों का नाश कर भाग्य का उदय करने वाले इस स्तोत्र का पाठ संस्कृत में प्रारंभ करते हैं।
संकटनाशन गणेश स्तोत्र हिंदी अर्थ सहित
अगर आप नारद पुराण से लिए गए इस संकटनाशन गणेश स्तोत्र का पाठ उसके अर्थ को समझते हुए करते हैं तो इसकी शक्ति और भी बढ़ जाती है। और यदि आप संस्कृत भाषा में इस स्तोत्र का पाठ नहीं कर पा रहे हों तो उस स्थिति में भी आप इसके हिंदी अर्थ का पाठ कर इसके समस्त लाभों को प्राप्त कर सकते हैं।
तो चलिए अब पढ़ते हैं संकटनाशन गणेश स्तोत्र हिंदी में अर्थ सहित।
॥ संकटनाशन गणेश स्तोत्र हिंदी अर्थ सहित ॥
॥ नारद उवाच ॥
प्रणम्य शिरसा देवं गौरीपुत्रं विनायकम् ।
भक्तावासं स्मरेन्नित्यमायुःकामार्थसिद्धये ॥१ ॥
नारदजी बोले – पार्वती नन्दन देवदेव श्री गणेशजी को सिर झुकाकर प्रणाम करते हुए अपनी आयु , कामना और अर्थ की सिद्धि के लिये उन भक्तनिवास का नित्यप्रति स्मरण करे ॥ 1 ॥
प्रथमं वक्रतुण्डं च एकदन्तं द्वितीयकम् ।
तृतीयं कृष्णपिङ्गाक्षं गजवक्त्रं चतुर्थकम् ॥ २ ॥
लम्बोदरं पञ्चमं च षष्ठं विकटमेव च ।
सप्तमं विघ्नराजं च धूम्रवर्णं तथाष्टमम् ॥ ३ ॥
नवमं भालचन्द्रं च दशमं तु विनायकम् ।
एकादशं गणपतिं द्वादशं तु गजाननम् ॥ ४ ॥
द्वादशैतानि नामानि त्रिसन्ध्यं यः पठेन्नरः ।
न च विघ्नभयं तस्य सर्वसिद्धिकरं प्रभो ॥ ५ ॥
अर्थ- पहला वक्रतुण्ड अर्थात टेढ़ी सूंडवाले , दूसरा एकदन्त अर्थात एक दाँतवाले, तीसरा कृष्णपिङ्गाक्ष अर्थात काली और भूरी नेत्रों वाले, चौथा गजवक्त्र अर्थात हाथी के समान मुखवाले, पाँचवाँ लम्बोदर अर्थात बड़े उदर वाले, छठा विकट अर्थात विकराल, सातवाँ विघ्नराजेंद्र अर्थात विघ्नों का शासन करनेवाले राजाधिराज, आठवाँ धूम्रवर्ण अर्थात धूसर वर्णवाले, नवाँ भालचन्द्र अर्थात जिसके ललाट पर चन्द्रमा शोभायमान है, दसवाँ विनायक , ग्यारहवाँ गणपति और बारहवाँ गजानन— इन बारह नामों का जो भी पुरुष तीनों सन्ध्याओं, अर्थात प्रातः , मध्याह्न और सायंकाल में पाठ करता है , हे प्रभो ! उसे किसी भी प्रकार के विघ्न का भय नहीं रहता ; इस प्रकार का स्मरण सभी सिद्धियाँ को प्रदान करने वाला होता है ॥2–5 ॥
विद्यार्थी लभते विद्यां धनार्थी लभते धनम् ।
पुत्रार्थी लभते पुत्रान्मोक्षार्थी लभते गतिम् ॥ ६ ॥
अर्थ- इससे विद्या की अभिलाषा रखने वाला विद्या को, धन की अभिलाषा रखने वाला धन को, पुत्र की इच्छा रखने वाला पुत्र को तथा मोक्ष की अभिलाषा रखने वाला मोक्षगति को प्राप्त कर लेता है ॥ 6 ॥
जपेद् गणपतिस्तोत्रं षड्भिर्मासैः फलं लभेत् ।
संवत्सरेण सिद्धिं च लभते नात्र संशयः ॥७ ॥
अर्थ- जो इस गणपति स्तोत्र का जप करता है , उसे छः माह के अंदर इच्छित फल प्राप्त हो जाता है तथा एक वर्ष के भीतर पूर्ण सिद्धि प्राप्त हो जाती है ; इसमें किसी भी प्रकार का कोई सन्देह नहीं है ॥ 7 ॥
अष्टभ्यो ब्राह्मणेभ्यश्च लिखित्वा यः समर्पयेत् ।
तस्य विद्या भवेत्सर्वा गणेशस्य प्रसादतः ॥ ८ ॥
अर्थ- जो पुरुष इसे लिखकर आठ ब्राह्मणों को समर्पण करता है , गणेशजी की कृपा से उसे सब प्रकार की विद्या प्राप्त हो जाती है ॥ 8 ॥
संकटनाशन गणेश स्तोत्र PDF
यदि आप नारद पुराण में वर्णित संकटनाशन गणेश स्तोत्र के PDF प्रारूप को Download करना चाहते हैं तो नीचे दिए गए बटम पे Click कर सीधे अपने मोबाइल में Save कर सकते हैं।
संकटनाशन गणेश स्तोत्र के लाभ
संकटनाशन गणेश स्तोत्र के माध्यम से स्वयं महर्षि नारद ने इससे मिलने वाले लाभों के बारे में बताया है। इस स्तोत्र के नियमित पाठ से विद्यार्थियों को विद्या, ज्ञान पिपासियों को ज्ञान, धन-सम्पदा की इच्छा रखने वाले को धन, संतान की इच्छा रखने वाले को संतान तथा मोक्ष की अभिलाषा रखने वाले को मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है।
ऐसी कोई भी मनोकामना और सिद्धि नहीं है जिसे संकटनाशन गणेश स्तोत्र के पाठ से नहीं पाया जा सकता है। तो चलिए जानते हैं संकटनाशन गणेश स्तोत्र के पाठ से मिलने वाले कुछ विशेष लाभों के बारे में।
संकटों से मिलती है मुक्ति
भगवान् श्री गणेश को विघ्नहर्ता तथा विघ्नविनाशक भी कहा जाता है। संकटनाशन गणेश स्तोत्र का नित्य पाठ करने से व्यक्ति के जीवन में आने वाले विभिन्न प्रकार के संकट और विघ्न बाधाएँ दूर हो जाती हैं और बिगड़े काम भी बनने शुरू हो जाते हैं।
धन-संपत्ति में होती है वृद्धि
इस स्तोत्र के नित्य पाठ से साधक के जीवन में सफलता, उन्नति और खुशहाली आती है फलस्वरूप व्यक्ति को धन, समृद्धि और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।
विद्या की होती है प्राप्ति
सनातन धर्म में भगवान श्री गणेश को विद्या और बुद्धि के देवता माना गया है। संकटनाशन गणेश स्तोत्र का नित्य पाठ करने से व्यक्ति के मन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है तथा उसके ज्ञान, विद्या, और मानसिक क्षमता में वृद्धि होने लगती है।
पुत्र सुख की होती है प्राप्ति
अगर आप पुत्र का सुख पाना चाहते हैं तो संकटनाशन गणेश स्तोत्र का पाठ नियमित रूप से करना शुरू कर दें। भगवान् श्री गणेश की कृपा से पुत्र की प्राप्ति शीघ्र हीं हो जाती है।
मिलती है सिद्धियां
संकटनाशन गणेश स्तोत्र के नित्य पाठ से जातक के सभी इच्छित फल की प्राप्ति हो जाती है तथा लगातार एक वर्ष तक भगवान् श्री गणेश के इस स्तोत्र के पाठ से पूर्ण सिद्धि की भी प्राप्ति होती है।
रोग होते हैं नष्ट
इस स्तोत्र के पाठ से मनुष्य को आरोग्य की प्राप्ति होती है। तथा उसके सारे रोग, भय और चिंता समाप्त हो जाते है।
मोक्ष की होती है प्राप्ति
भगवान् श्री गणेश को समर्पित इस स्तोत्र के पाठ से व्यक्ति को सांसारिक सुख तो मिलता हीं है साथ हीं साथ मोक्ष को उत्सुक साधकों को मोक्ष की भी प्राप्ति होती है।
संकटनाशन गणेश स्तोत्र का जाप कैसे करे?
संकटनाशन गणेश स्तोत्र का शीघ्र लाभ प्राप्त करने के लिए आपको कुछ निर्देशों का पालन जरूर करना चाहिए। इस स्तोत्र का पाठ प्रतिदिन सुबह सुबह करना सर्वोत्तम माना गया है।
परन्तु यदि आप ऐसा करने में समर्थ नहीं हैं तो प्रत्येक बुधवार या चतुर्थी तिथि को इसका पाठ अवश्य करें। किसी विशेष मनोकामना की पूर्ति के लिए सबसे पहले संकटनाशन गणेश स्तोत्र के पाठ का संकल्प लें। तदुपरांत कम से कम 30 दिनों तक इसका पाठ करना जरुरी होता है।
तो चलिए अब हम जानते हैं कि संकटनाशन गणेश स्तोत्र के पाठ के नियम क्या हैं।
संकटनाशन गणेश स्तोत्र का जाप के नियम
- सबसे पहले प्रातः काल जाग कर स्नानादि से निवृत हो स्वक्ष वस्त्र धारण करें।
- स्तोत्र के पाठ के शांतपूर्ण वातावरण का चुनाव करें।
- अब कुश अथवा कपडे के आसन पर पूर्व दिशा की तरफ मुँह करके बैठ जाएँ।
- तत्पश्चात, भगवान् श्री गणेश के चित्र अथवा प्रतिमा को अपने सामने स्थापित करें।
- श्री गणेश के समक्ष घी का दीपक जलाएं।
- श्री गणेश का ध्यान करते हुए उन्हें दूर्वा, अक्षत, पुष्प तथा भोग समर्पित करें।
- अब आप संकटनाशन गणेश स्तोत्र का पाठ अपनी सुविधा अनुसार 1/3/5/7/11/21 बार करें।
- इस स्तोत्र का पाठ उच्च स्वर में शुद्ध उच्चारण के साथ करें।
- अपनी किसी खास मनोकामना की पूर्ति के लिए इस स्तोत्र का पाठ प्रतिदिन 30 दिनों तक करें।
निष्कर्ष
“संकटनाशन गणेश स्तोत्र” का नित्य पाठ भगवान श्री गणेश की कृपा पाने का एक अत्यंत सरल तथा प्रभावी तरीका है। इसके नियमित पाठ से साधक के जीवन की सभी बाधाओं का अंत होता है, और वो सफलता, समृद्धि, स्वास्थ्य, और शांति को प्राप्त करता है।
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