मीनाक्षी पंचरत्न स्तोत्र अर्थ सहित | Meenakshi Pancharatnam Stotram

मीनाक्षी पंचरत्न स्तोत्र माता मीनाक्षी को समर्पित एक स्तोत्र है जिसकी रचना अदि शंकराचार्य ने की थी। ये स्तोत्र संस्कृत के पांच श्लोकों का एक संग्रह है जिसके माध्यम से अड़ शंकराचार्य ने माता मीनाक्षी के दिव्य गुणों का वर्णन किया है।

सनातन धर्म में माता मीनक्षी को माता पार्वती का एक रूप माना जाता है। मीनाक्षी माता की पूजा विशेष तौर से दक्षिण भारत में की जाती है। यहाँ इन्हें मीनाक्षी अम्मन भी कहा जाता है।

भारत के तमिलनाडु राज्य के मदुरै शहर में माता मीनाक्षी को समर्पित एक विशाल और दिव्य मंदिर भी है जिसे मीनाक्षी मंदिर के नाम से जाना जाता है।

आज के इस पोस्ट में हम मीनाक्षी माता को समर्पित मीनाक्षी पंचरत्न स्तोत्र को संस्कृत में पढ़ेगें साथ हीं साथ उसके हिंदी अर्थ तथा मीनाक्षी पंचरत्न स्तोत्र के पाठ के लाभ को भी जानेगें।

मीनाक्षी पंचरत्न स्तोत्र संस्कृत में

सनातन धर्म में माँ मीनाक्षी को समर्पित अनेक स्तोत्रों और मन्त्रों का उल्लेख मिलता है जिसके माध्यम से भक्त अपने जीवन में शक्ति, साहस और समृद्धि की कामना करते हैं। उनकी पूजा और उनके स्तोत्रों के नित्य पाठ से भक्तों को मानसिक शांति और आत्मबल की प्राप्ति होती है।

तो चलिए अब हम मीनाक्षी पंचरत्न स्तोत्र का पाठ करते हैं जो इस प्रकार है :

Meenakshi Pancharatnam Stotram in Sanskrit

मीनाक्षी पंचरत्न स्तोत्र

मीनाक्षी पंचरत्न स्तोत्र हिंदी अर्थ सहित ।

अगर आप आदि शंकराचार्य कृत माता मीनाक्षी के इस पंचरत्न स्तोत्र को संस्कृत में नहीं पढ़ पा रहे हों तो आप इसे हिंदी में पढ़कर भी लाभ की प्राप्ति कर सकते हैं।

यहाँ हम माता मीनाक्षी के इस स्तोत्र को हिंदी में बताने जा रहे है। अपनी पूर्ण निष्ठा और विश्वास के साथ इसका पाठ कर माँ मीनाक्षी के कृपा का भागी बनें।

Meenakshi Pancharatnam Stotram in Hindi

॥ मीनाक्षी पंचरत्न स्तोत्र अर्थ सहित ॥

उद्यद्भानुसहस्रकोटिसदृशां केयूरहारोज्ज्वलां
बिम्बोष्ठीं स्मितदन्तपंक्तिरुचिरां पीताम्बरालंकृताम् ।
विष्णुब्रह्मसुरेन्द्रसेवितपदां तत्वस्वरूपां शिवां
मीनाक्षीं प्रणतोऽस्मि संततमहं कारुण्यवारांनिधिम् ॥ १॥

अर्थ : जो उदय होते हुए सहस्त्रों सूर्यों के समान आभा वाली हैं, केयूर और हार आदि आभूषणों से उज्जवल प्रतीत होती हैं, जिनके अधर बिम्बाफल की भांति लाल हैं, जो अपनी मधुर मुसकान युक्त दन्तावलि से सुन्दरी मालूम होती हैं तथा पीले वस्त्र से अलंकृता हैं; जिनकी चरणों की सेवा स्वयं भगवान् श्री ब्रह्मा, श्री विष्णु आदि देवनायक करते हैं, उन तत्त्वस्वरूपिणी, कल्याणकारिणी, करुणावरुणालया, श्रीमीनाक्षीदेवी का मैं निरन्तर वन्दन करता हूँ ॥ 1॥

मुक्ताहारलसत्किरीटरुचिरां पूर्णेन्दुवक्त्र प्रभां
शिञ्जन्नूपुरकिंकिणिमणिधरां पद्मप्रभाभासुराम् ।
सर्वाभीष्टफलप्रदां गिरिसुतां वाणीरमासेवितां
मीनाक्षीं प्रणतोऽस्मि संततमहं कारुण्यवारांनिधिम् ॥ २॥

अर्थ : जो मोती की लड़ियों से सुशोभित मुकुट को धारण किये रमणीक मालूम होती हैं, जिनके मुख की प्रभा पूर्णचन्द्र के समान है, जो झनकारते हुए नूपुर, किंकिणी अर्थात करधनी तथा अनेकों मणियाँ धारण किये हुए हैं, जो कमल की सी आभा से भासित हो रही हैं, जो सबको अभीष्ट फल देने वाली हैं, जिनकी सेवा माँ सरस्वती और माँ लक्ष्मी स्वयं करती हैं, उन गिरिराजनन्दिनी करुणावरुणालया श्रीमीनाक्षीदेवी का मैं निरन्तर वन्दन करता हूँ ॥ 2॥

श्रीविद्यां शिववामभागनिलयां ह्रींकारमन्त्रोज्ज्वलां
श्रीचक्राङ्कितबिन्दुमध्यवसतिं श्रीमत्सभानायकीम् ।
श्रीमत्षण्मुखविघ्नराजजननीं श्रीमज्जगन्मोहिनीं
मीनाक्षीं प्रणतोऽस्मि संततमहं कारुण्यवारांनिधिम् ॥ ३॥

अर्थ : जो श्रीविद्या हैं, जो भगवान् शंकर के वामभाग में विराजमान हैं, जो ‘ह्रीं’ बीजमन्त्र से सुशोभिता हैं, जो श्रीचक्रांकित विन्दु के मध्य में निवास करती हैं तथा देवसभा की अधिनेत्री हैं, उन श्रीस्वामी कार्तिकेय और गणेशजी की माता जगन्मोहिनी करुणावरुणालया श्रीमीनाक्षीदेवी का मैं निरन्तर वन्दन करता हूँ ॥ 3॥

श्रीमत्सुन्दरनायकीं भयहरां ज्ञानप्रदां निर्मलां
श्यामाभां कमलासनार्चितपदां नारायणस्यानुजाम् ।
वीणावेणुमृदङ्गवाद्यरसिकां नानाविधामम्बिकां
मीनाक्षीं प्रणतोऽस्मि संततमहं कारुण्यवारांनिधिम् ॥ ४॥

अर्थ : जो अत्यंत सुन्दर स्वामिनी हैं, जो भयहारिणी, ज्ञानप्रदायिनी, निर्मला और श्यामला हैं, कमल पे वराजमान श्री ब्रह्माजी द्वारा जिनके चरण कमल पूजे गये हैं तथा श्री हरी विष्णु की जो अनुजा हैं; जो वीणा, वेणु, मृदंगादि वाद्यों में रस लेने वाली हैं, उन विचित्र लीलाविहारिणी करुणावरुणालया श्री मीनाक्षीदेवी का मैं निरन्तर वन्दन करता हूं ॥ 4॥

नानायोगिमुनीन्द्रहृन्निवसतीं नानार्थसिद्धिप्रदां
नानापुष्पविराजितांघ्रियुगलां नारायणेनार्चिताम् ।
नादब्रह्ममयीं परात्परतरां नानार्थतत्वात्मिकां
मीनाक्षीं प्रणतोऽस्मि संततमहं कारुण्यवारांनिधिम् ॥ ५॥

अर्थ : जो अनेकों योगिजन और मुनीश्वरों के हृदय में निवास करती हैं तथा विभिन्न प्रकार के पदार्थों की प्राप्ति कराने वाली हैं, नाना प्रकार के पुष्प जिनके चरणों को सुशोभित कर रहे हैं, जो श्रीनारायण से पूजिता हैं तथा जो नादब्रह्ममयी हैं, जो परे से भी परे हैं और नाना पदार्थों की तत्त्वस्वरूपा हैं, उन करुणावरुणालया श्रीमीनाक्षीदेवी का मैं निरन्तर वन्दन करता हूँ ॥ 5॥

मीनाक्षी गायत्री मंत्र

Meenakshi Pancharatnam Stotram PDF

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मीनाक्षी पंचरत्न स्तोत्र के लाभ

मीनाक्षी का शाब्दिक अर्थ है ‘मछली के समान नेत्रों वाली’ अर्थात माँ मीनाक्षी के नेत्र मछली के नेत्रों के भांति बड़े और सुन्दर हैं। चूँकि माता मीनाक्षी को देवी पार्वती का अवतार माना जाता है अतः उनकी पूजा शक्ति की देवी के रूप में की जाती है।

माता मीनाक्षी की पूजा का सबसे सरल माध्यम है उनके स्तोत्रों का पाठ करना। अतः मीनाक्षी स्तोत्र का पाठ करके आप माता मीनाक्षी की कृपा सहजता से प्राप्त कर सकते हैं।

अब हम जानते हैं की इस स्तोत्र के नित्य पाठ से साधक को किन किन लाभ की प्राप्ति होती है।

Meenakshi Pancharatnam Benefits

मिलता है सुन्दर शरीर और आकर्षक व्यक्तित्व

सुन्दर और आकर्षक व्यक्तित्व हर महिला की चाहत होती है। अविवाहित महिला अगर मीनाक्षी पंचरत्न स्तोत्र का पाठ करती है तो माता मीनाक्षी उसे शारीरिक सुंदरता तथा आकर्षक व्यक्तित्व प्रदान करती हैं।

मिलता है सुयोग्य वर

अगर आप अपने लिए एक सुयोग्य, धनवान और गुणवान वर पाना चाहती हैं तो मीनाक्षी पंचरत्न स्तोत्र का पाठ नित्य करना शुरू कर दें। इस स्तोत्र के नित्य पाठ से माता मीनाक्षी स्त्रियों को सुयोग्य वर मिलने का आशीर्वाद दे देती हैं।

गृहस्थ जीवन में आती है ख़ुशी

अगर किसी भी व्यक्ति के गृहस्थ जीवन में बहुत क्लेश रहता है तो उस दंपत्ति को चाहिए की वो नित्य प्रतिदिन मीनाक्षी पंचरत्न स्तोत्र का पाठ शुरू कर दे। इस स्तोत्र के पाठ से वैवाहिक जीवन में ख़ुशी आणि शुरू हो जाती है।

असंभव होता है संभव

माता मीनाक्षी की कृपा जीवन में असंभव प्रतीत होने वाले कार्यों को भी संभव बना देती हैं। अगर आपके जीवन में भी कुछ असंभव सा लग राग रहा हो तो आज से हीं मीनाक्षी पंचरत्न स्तोत्र का पाठ शुरू कर दें।

संकटों से होती है सुरक्षा

मीनाक्षी देवी की कृपा से भक्तों को हर प्रकार के संकटों और कठिनाइयों से मुक्ति मिलती है। इस स्तोत्र के पाठ से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का आगमन होता है।

शारीरिक और मानसिक व्याधियां होती हैं दूर

इस स्तोत्र का नियमित जाप शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य प्रदान करता है। देवी मीनाक्षी की कृपा भक्तों को मानसिक तनाव और चिंता से मुक्त करता है, जिससे घर में सुख, शांति और समृद्धि की वृद्धि होती है।

मीनक्षी पंचरंत स्तोत्र से सम्बंधित अन्य प्रश्न

मीनाक्षी माता कौन हैं?

सनातन धर्म में माता मीनक्षी को देवी पार्वती का एक अवतार माना गया है। अतः उन्हें शक्ति की देवी के रूप में पूजा जाता है।

मीनाक्षी माता को समर्पित मंदिर कहाँ स्थित है?

माता मीनक्षी को समर्पित मंदिर का नाम मीनाक्षी अम्मन मंदिर है जो दक्षिण भारत के तमिलनाडु राज्य के मदुरै शहर में स्थित है।

मीनाक्षी माता की पूजा क्यों की जाती है?

मिनाक्षी माता की पूजा विशेष रूप से अविवाहित स्त्रियों के लिए अति लाभकारी होता है। माता मीनक्षी अत्यंत शक्ति और अद्भुत सौंदर्य की देवी कही जाती हैं। अतः माता मीनक्षी की पूजा से स्त्रियों को आकर्षक शरीर तथा सुयोग्य वर की प्राप्ति होती है।

मीनाक्षी माता की कृपा पाने के लिए क्या करना चाहिए?

नियमित रूप से उनकी पूजा तथा उनके मंत्रों और स्तोत्रों का जाप माता मीनाक्षी की कृपा पाने का सबसे सुगम माध्यम है।

क्या मीनाक्षी माता की पूजा में कोई विशेष नियम हैं?

मीनाक्षी माता की पूजा में शुद्धता, श्रद्धा और भक्ति का पालन करना महत्वपूर्ण है। इसके अलावा, यदि संभव हो तो ब्रह्मचर्य का पालन करें और सात्विक आहार ग्रहण करें।

निष्कर्ष

तो कैसी लगी मीनक्षी पंचरंत स्तोत्र से जुडी ये जानकारी। अगर अच्छी लगी हो तो अपने प्रियजनों के साथ इस पोस्ट को शेयर करना मत भूलें। आपकी एक लाइक और एक शेयर भी हिन्दू-धर्म को समर्पित Kubereshwar Dham Sehore के टीम को बल प्रदान करेगा, और समय समय पर हम आपके लिए ऐसे ही अद्भुत जानकारियां लाते रहेंगें।

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