दारिद्र्य दहन शिव स्तोत्र हिंदी में अर्थ सहित

आज के इस पोस्ट में हम आपको दारिद्र्य दहन शिव स्तोत्र हिंदी में अर्थ सहित, दारिद्र्य दहन शिव स्तोत्र PDF, दारिद्र्य दहन शिव स्त्रोत पाठ करने की विधि तथा दारिद्र्य दहन शिव स्तोत्र के लाभ बताने जा रहे हैं।

महर्षि वशिष्ठ द्वारा रचित केवल 8 श्लोको की Daridra Dahan Shiv Stotra का नित्य पाठ जीवन से द्ररिद्रता का नाश कर सभी प्रकार के वैभव को प्रदान करता है।

चाहे अत्यंत प्रयासों के बावजूद सफलता नहीं मिल रही हो, बेरोजगारी और गरीबी से जूझ रहे हों, घोर रूप से आर्थिक संकट में हो या फिर बीमारी पीछा नहीं छोड़ रही तो भगवान् शिव के इस Daridra Dahan Shiv Stotra का पाठ अवश्य करें।

दारिद्र्य दहन शिव स्तोत्र संस्कृत में

भगवान् श्री राम के गुरु महर्षि वशिष्ठ द्वारा रचित ये दारिद्रय दहन शिव स्त्रोत मूल रूप से संस्कृत में लिखा गया है, जो 8 दिव्य श्लोकों का एक संग्रह है।

जो मनुष्य तीनों कालों में इस स्त्रोत का पाठ करता है, उसके समस्त रोगों का नाश हो जाता है तथा शीघ्र ही वो सभी प्रकार के वैभव को भी प्राप्त कर लेता है। तो चलिए श्रद्धा पूर्वक इस स्तोत्र का पाठ शुरू करते हैं।

दारिद्र्य दहन शिव स्तोत्र पाठ
दारिद्र्य दहन शिव स्तोत्र पाठ

दारिद्र्य दहन शिव स्तोत्र आसान भाषा में पढ़ें

किसी भी स्तोत्र के पाठ का लाभ हमे तभी मिल सकता है जब हम उस स्तोत्र का सही सही उच्चारण के साथ पाठ करते हैं। हममे से कई लोग इस स्तोत्र में प्रयोग किये गए संस्कृत श्लोकों को सही उच्चारण के साथ पढ़ने में असमर्थ होगें।

अतः हम Daridra Dahan Shiv Stotra के सभी संस्कृत श्लोकों को आसान लघु रूप में प्रस्तुत कर रहे हैं, जिससे आप इस स्तोत्र का पाठ सही सही कर सकें।

।। दारिद्र्य दहन शिव स्तोत्र आसान भाषा में ।।

विश्वेश्वराय नरकार्ण-वतार-णाय
कर्णा-मृताय शशि-शेखराय धारणाय
कर्पूर-कांति धवलाय जटा-धराय
दारिद्रय दु:ख दहनाय नम: शिवाय ।1।

गौरी-प्रियाय रजनीश कलाधराय
कालान्तकाय भुजंगाधिप कंकणाय
गंगाधराय गजराज विमर्दनाय
दारिद्रय दु:ख दहनाय नम: शिवाय ।2।

भक्ति प्रियाय भव-रोग भया-पहाय
उग्राय दुर्गम-भवसागर तारणाय
ज्योतिर्मयाय गुणनाम सुनृत्य-काय
दारिद्रय दु:ख दहनाय नम: शिवाय ।3।

चर्माम्ब-राय शव-भस्म विलेपनाय
भालेक्षणाय मणि-कुंडल मण्डिताय
मंजीर पाद-युगलाय जटाधराय
दारिद्रय दु:ख दहनाय नम: शिवाय ।4।

पंचा-ननाय फणिराज विभूष-णाय
हेमांशु-काय भुवन-त्रय मण्डिताय
आनन्द-भूमि वरदाय तमो-मयाय
दारिद्रय दु:ख दहनाय नम: शिवाय ।5।

भानु-प्रियाय भव-सागर तारणाय
कालान्त-काय कमलासन पूजिताय
नेत्र-त्रयाय शुभ-लक्षण लक्षिताय
दारिद्रय दु:ख दहनाय नम: शिवाय ।6।

राम-प्रियाय रघुनाथ वर प्रदाय
नाग-प्रियाय नरकार्ण-वतारणाय
पुण्येषु पुण्य-भरिताय सुरार्चिताय
दारिद्रय दु:ख दहनाय नम: शिवाय ।7।

मुक्तेश्वराय फलदाय गणेश्वराय
गति-प्रियाय वृषभेश्वर वाहनाय
मातंग चर्म-वसनाय महेश्वराय
दारिद्रय दु:ख दहनाय नम: शिवाय ।8।

वसिष्ठेन कृतं स्तोत्रं सर्वरोग निवारणम्
सर्व सम्पत्करं शीघ्रं पुत्र-पौत्रादि वर्धनम्।
त्रिसन्ध्यं यः पठे-न्नित्यं स हि स्वर्गमवाप्नुयात्।
दारिद्रय दु:ख दहनाय नमः शिवाय ।9।

।। इति श्रीवशिष्ठरचितं दारिद्रयुदुखदहन शिवस्तोत्रम संपूर्णम् ।।

दारिद्र्य दहन शिव स्तोत्र हिंदी में अर्थ सहित

अगर हम किसी स्तोत्र को उसके अर्थ के साथ पढते हैं तो उसका महत्व और शक्ति और भी बढ़ जाती है। मगर हममे से कई लोग इस स्तोत्र में प्रयोग किये गए श्लोकों का अर्थ समझने में असमर्थ होगें।

अतः अब हम Daridra Dahan Shiv Stotra के सभी श्लोकों को हिंदी अर्थ के साथ समझने का प्रयास करेगें।

|| दारिद्र्य दहन शिव स्तोत्र हिंदी में ||

विश्वेश्वराय नरकार्णव तारणाय
कर्णामृताय शशिशेखर धारणाय।
कर्पूरकांति धवलाय जटाधराय
दारिद्र्य दु:ख दहनाय नम: शिवाय ॥१॥

हे भगवान् शिव, आप संपूर्ण विश्व के स्वामी विश्वेश्वर हैं, नरकरूपी संसार के सागर को पार लगाने वाले हैं,आपके नाममात्र का श्रवण कर्णो के लिए अमृत के समान है, आप अपने मस्तक पे चन्द्रमा को आभूषण की भांति धारण करने वाले हैं , आप कर्पूर की कांति के समान स्वच्छ और ओजपूर्ण हैं , हे जटाधारी और दरिद्रता के दुःख का विनाश करने वाले आप भगवान् शिव को मेरा नमस्कार है ।

गौरी प्रियाय रजनीशकलाधराय
कलांतकाय भुजगाधिपकंकणाय।
गंगाधराय गजराज विमर्दनाय
द्रारिद्रय दुख दहनाय नमः शिवाय ॥२॥

हे भगवान शिव, आप माता गौरी के प्रिये हैं और चन्द्रमा के सारे कलाओं के स्वामी हैं, आप कालों के भी काल हैं तथा सर्पराज नाग को कंकण रूप मे धारण करने वाले हैं, आप अपने जटाओं में माता गंगा को धारण करतें हैं तथा गजराज का विमर्दन करने वाले हैं, हे दरिद्रता के दुःख का विनाश करने वाले आप भगवान् शिव को मेरा नमस्कार है ।

भक्तिप्रियाय भवरोग भयापहाय
उग्राय दुर्ग भवसागर तारणाय।
ज्योतिर्मयाय गुणनाम सुनृत्यकाय
दारिद्रय दुख दहनाय नमः शिवाय ॥३॥

हे भगवान् शिव, आपको भक्ति प्रिये है, आप समस्त रोग और भय का नाश करने वाले हो, संहार के समय आप उग्र रूप धारण वाले तथा संसार रूपी दुर्गम सागर को भी पार कराने वाले हो । आप ज्योति स्वरुप हैं, तथा अपने नाम और गुण के अनुरूप नृत्य करते हैं । हे दरिद्रता के दुःख का विनाश करने वाले आप भगवान् शिव को मेरा नमस्कार है ।

चर्माम्बराय शवभस्म विलेपनाय
भालेक्षणाय मणिकुंडल-मण्डिताय।
मँजीर पादयुगलाय जटाधराय
दारिद्रय दुख दहनाय नमः शिवाय ॥४॥

हे भगवान् शिव, आप ब्याघ्र के चर्म को धारण काने वाले हैं तथा शव-भस्म को अपने शरीर पे लगाने वाले हैं, आप अपने भाल पे तीसरे नेत्र को धारण करते हैं तथा मणि कुण्डल से सुशोभित हैं | हे, अपने पैरों में नूपुर को धारण करने वाले जटाधारी भगवान् शिव आप दरिद्रता के दुःख का विनाश करने वाले हैं, आपको मेरा नमस्कार ।

पंचाननाय फणिराजविभूषणाय
हेमांशुकाय भुवनत्रयमंडिताय।
आनंदभूमिवरदाय तमोमयाय
दारिद्रय दुख दहनाय नमः शिवाय ॥५॥

पांच मुखों वाले हे भगवान् शिव, आप नागराज को आभूषण की भांति धारण करतें हैं। स्वर्ण से बने वस्त्र को धारण करने वाले हे भगवान शिव आप तीनो लोक में पूज्य हैं । आप आनंद-भूमि को वर प्रदान करने वाले हैं। हे, तमोगुण के स्वामी, आप दरिद्रता के दुःख का विनाश करने वाले भगवान शिव को मेरा नमस्कार है ।

भानुप्रियाय भवसागर तारणाय
कालान्तकाय कमलासन पूजिताय।
नेत्रत्रयाय शुभलक्षणलक्षिताय
दारिद्रय दुख दहनाय नमः शिवाय ॥६॥

हे भगवान् शिव, आप भगवान सूर्य के प्रिये हैं, भवसागर को पार कराने वाले तथा कालों के भी काल हैं। कमल पे विराजमान भगवान ब्रह्म्मा के भी द्वारा पूजे जाने वाले हे भगवान् शिव आप तीन नेत्रों को धारण करतें हैं। हे शुभ लक्षणो से युक्त तथा दरिद्रता के दुःख का विनाश करने वाले भगवान शिव, आपको मेरा नमस्कार है।

रामप्रियाय रधुनाथवरप्रदाय
नागप्रियाय नरकार्णवतारणाय।
पुण्येषु पुण्यभरिताय सुरार्चिताय
दारिद्रय दुख दहनाय नमः शिवाय ॥७॥

हे भगवान् शिव,आप मर्यादा पुरषोत्तम श्री राम के भी प्रिय हैं और उन्हें वर प्रदान करने वाले हैं। सर्पराज के अतिप्रिय आप भवसागर रुपी नरक को पार कराने वाले हैं। आप पुण्यवानों में अत्यंत पुण्य वाले हैं, समस्त देवताओं के द्वारा पूज्य तथा दरिद्रता के दुःख का विनाश करने वाले हे भगवान शिव आपको मेरा नमस्कार है।

मुक्तेश्वराय फलदाय गणेश्वराय
गीतप्रियाय वृषभेश्वर वाहनाय।
मातंग चर्मवसनाय महेश्वराय
दारिद्रय दुख दहनाय नमः शिवाय ॥८॥

आप मुक्ति प्रदान करने वाले तथा पुरुषार्थ का फल देने वाले हैं, आप गणों के स्वामी, स्तुति-प्रिय तथा नंदी का वहन करने वाले हैं। गज-चर्म को धारण करने वाले हे महेश्वर आप दरिद्रता के दुःख का विनाश करने वाले भगवान शिव आपको मेरा नमस्कार है।

वसिष्ठेन कृतं स्तोत्रं सर्वरोगनिवारणम्।
सर्वसम्पत्करं शीघ्रं पुत्रपौत्रादिवर्धनम्।
त्रिसन्ध्यं य: पठेन्नित्यं स हि स्वर्गमवाप्नुयात्।।९।।

ऋषि वशिष्ठ द्वारा रचित यह स्त्रोत समस्त रोगों का नाश करने वाला, शीघ्र ही सभी प्रकार के वैभव को प्रदान करने वाला तथा पुत्र-पौत्रादि में वृद्धि करने वाला है। जो मनुष्य तीनों कालों में इस स्त्रोत का पाठ करता है, उसे निश्चित रूप से स्वर्ग की प्राप्ति होती है। दरिद्रतरूपी दुःख का नाश करने वाले हे भगवान् शिव, आपको मेरा नमस्कार है।

।।इस प्रकार महर्षि वसिष्ठ विरचित दारिद्र्य दहन शिव स्तोत्र सम्पूर्णम् ।।

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दारिद्र्य दहन शिव स्तोत्र हिंदी में अर्थ PDF Download

यहाँ हम आपके लिए दारिद्र्य दहन शिव स्तोत्र हिंदी में अर्थ PDF प्रारूप में ले कर आये हैं। ताकि आप अपने मोबाइल या कम्पुयटर पे इसका कहीं भी और कभी भी पाठ कर सकें।

दारिद्र्य दहन शिव स्तोत्र PDF Download करने के लिए नीचे बने बटम पर Click करें।

दारिद्र्य दहन शिव स्तोत्र हिंदी में अर्थ PDF Free Download

दारिद्र्य दहन शिव स्तोत्र का पाठ कब करें

त्रिसन्ध्यं यः पठेन्नित्यं स हि स्वर्गमवाप्नुयात्

दारिद्र्य दहन शिव स्तोत्र

दारिद्र्य दहन शिव स्तोत्र के लाभ को पूर्णतः पाने के लिए ये जानना जरुरी हो जाता है की इस स्तोत्र का पाठ हम किस दिन, कब और कितनी बार करें।

जैसा की ऊपर के श्लोक में लिखा गया है, कि यदि कोई मनुष्य Daridra Dahan Shiv Stotra का तीनो संध्या-काल में अर्थात प्रातः-काल, मध्यान काल तथा सायं-काल में नित्य रूप से पाठ करता है तो वह स्वर्ग का अधिकारी बन जाता है।

यदि तीनो कल में पाठ करना संभव नहीं हो तो Daridra Dahan Shiv Stotra PDF का पाठ प्रतिदिन एक बार अवश्य करें।

परन्तु यदि आप ऐसा करने में भी असमर्थ है तो सोमवार को शिवलिंग पे किसी भी द्रव जैसे की गंगा जल, गाय का दूध, दही, शहद या गन्ने का रस से अभिषेक करते हुए दारिद्र्य दहन शिव स्तोत्र PDF का पाठ अवश्य करें।

और यदि आप ये भी ना कर सकें तो प्रत्येक महीने के शुक्ल और कृष्ण पक्ष के प्रदोष के दिन शाम के प्रदोष काल में Daridra Dahan Shiv Stotra का किया गया पाठ विशेष फल प्रदान करने वाला होता है।

दारिद्र्य दहन शिव स्तोत्र के लाभ

हिन्दू धर्म शास्त्रों में कई ऐसे उपाय बताये गए हैं जिन्हें अपना कर आप अपने जीवन से दुःख और दरिद्रता को दूर कर सकतें हैं। उन उपायों में सबसे सरल उपाय है नित्य प्रतिदिन प्रदोष काल में Daridra Dahan Shiv Stotra का पाठ करना।

तो चलिए अब हम जानते है दारिद्र्य दहन शिव स्तोत्र के लाभ क्या क्या हैं।

दारिद्र्य दहन शिव स्तोत्र के लाभ

धन प्राप्ति का मिलता है संयोग

हममे से कई लोग धन तो कामना चाहते है परन्तु बदकिस्मती से धन कमाने का मौका हीं नहीं मिल पाता। या फिर जब धन कमाने का संयोग बनता भी है तभी कुछ ना कुछ अड़चन आ जाती है। ऐसी परिस्तिथि में भी आपको Daridra Dahan Shiv Stotra का पाठ जरूर करना चाहिए।

आदि लक्ष्मी की होती है कृपा

दारिद्र्य दहन शिव स्तोत्र के पाठ से माँ आदिलक्ष्मी अतिशीघ्र प्रसन्न हो जातीं हैं। माता लक्ष्मी का ये रूप खानदानी अमीरी और पीढ़ी दर पीढ़ी सम्पन्नता को बढ़ाते चली जाती है।

सामाजिक प्रतिष्ठा में होती है वृद्धि

समाज के हर व्यक्ति की ये चाहत होती है कि उसे समाज में बहुत मान-सम्मान मिले परन्तु यदि किन्हीं भी कारणों से समाज में आपकी प्रतिष्ठा नहीं बन पा रही हो तो Daridra Dahan Shiv Stotra का पाठ आज से हीं शुरू कर दें। अवश्य लाभ मिलेगा।

रोगों से मिलती है मुक्ति

स्वास्थ्य को हीं सबसे बड़ा धन माना गया है। अच्छी सेहत से बढ़कर दूसरी कोई चीज नहीं होती। यदि आपको ऐसा लगता है की बिमारियों में आपके घर में डेरा डाल दिया है। अक्सर कोई ना कोई बीमार रहता हो, या फिर किसी गंभीर बीमारी का संदेह हो तो उस स्थिति में दारिद्र्य दहन शिव स्त्रोत का पाठ जरूर करें।

भगवान् शिव को समर्पित दारिद्र्य दहन शिव स्त्रोत का पाठ गंभीर से गंभीर बिमारियों को भी भस्म करने की ताकत रखता है।

मानसिक तनाव दूर करता है

वर्तमान समय में हर किसी के पास तनाव बढ़ता जा रहा है, जिस कारण लोग एंग्जाइटी और डिप्रेशन के शिकार होते जा रहे हैं। ऐसी स्तिथि में Daridra Dahan Shiv Stotra का पाठ जरूर करें। भगवान् शिव का ये स्तोत्र मानसिक तनाव को दूर कर मन में संतुलन और धैर्य का संचार करता है।

घर में नहीं होती है अन्न की कमी

ह्रदय से किया गया दारिद्र्य दहन शिव स्त्रोत का पाठ से माता अन्नपूर्णा की कृपा आपके घर बनी रहती है। और आपके घर कभी भी अन्न की कमी नहीं होती।

कई बार तो ऐसा भी होता है कि लोगों के पास अन्न की तो कमी नहीं होती पर वो अपनी शारीरिक बिमारियों की वजह से उस अन्न का भोग करने में असमर्थ हो जाते हैं। तो ऐसी स्थिति में भी दारिद्र्य दहन शिव स्त्रोत का पाठ करना अति लाभदायी होता है।

पारिवारिक क्लेश होता है समाप्त

अगर परिवार में बार बार झगड़े हो रहे हों और आपसी मतभेद बढ़ते हीं जा रहे हों तो अलगाव के अलावा दूसरा मार्ग नहीं बचता। ऐसी स्तिथि में भी अगर आप अपने परिवार को बचाना चाहते हैं तो Daridra Dahan Shiv Stotra का पाठ आज से हीं शुरू कर दें।

दारिद्र्य दहन शिव स्त्रोत का नित्य पाठ पारिवारिक क्लेश और आपसी मतभेद को दूर करता है।

संतान सुख की होती है प्राप्ति

हिन्दू धर्म शास्त्रों में भगवान् शिव को पुरे ब्रह्माण्ड के समस्त जीव का पिता कहा गया है। अतः अगर आप संतान सुख से वंचित हैं या फिर किसी कारण आपके बच्चे गलत रस्ते पे चले गए हैं तो उस स्तिथि में दारिद्र्य दहन शिव स्त्रोत का पाठ लाभकारी होता है।

सफलता प्रदान करने वाला स्तोत्र

अगर जीवन में आने वाली हर पड़ेशानियों को दूर कर अपना मार्ग प्रशस्त्र करना चाहते हैं, सफल होना चाहते हैं तो दारिद्र्य दहन शिव स्त्रोत का पाठ जरूर करें।

दारिद्र्य दहन शिव स्त्रोत का पाठ आपके विद्या, ज्ञान, ओज और व्यक्तित्व में वृद्धि करता है।

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दारिद्र्य दहन शिव स्तोत्र के लाभ को शीघ्र कैसे प्राप्त करें

हिन्दू धर्म शास्त्रों में दारिद्र्य दहन शिव स्तोत्र के पाठ की कई विधिया बताई गयीं हैं। उन सारे विधियों में से हम आपके लिए 3 ऐसी विधि को लेकर आएं है जिसके माध्यम से आप दारिद्र्य दहन शिव स्तोत्र के लाभ को शीघ्र-अतिशीघ्र प्राप्त कर सकते हैं।

दारिद्र्य दहन शिव स्तोत्र के लाभ को शीघ्र प्राप्त करने के लिए इनमे से जो विधि भी आपके अनुकूल पड़े, उसका चयन कर पाठ शुरू करें।

दारिद्र्य दहन शिव स्तोत्र पाठ करने की विशेष विधि -1

Daridra Dahan Shiv Stotra के पाठ के इस विधि के अनुसार प्रतिदिन 3 महीने तक प्रतिदिन गन्ने के रस से शिवलिंग का अभिषेक करें। अभिषेक करते करते 16 बार दारिद्र्य दहन शिव स्तोत्र का पाठ करें।

यदि आप गन्ने के रस से शिवलिंग का अभिषेक करने में असमर्थ महसूस कर रहें हों तो शिवलिंग के समक्ष 3 महीने तक प्रतिदिन 16 बार दारिद्र्य दहन शिव स्तोत्र का पाठ करें।

तीन महीने के भीतर भीतर हीं आपको दारिद्र्य दहन शिव स्तोत्र के लाभ दिखने शुरू हो जायेंगे।

दरिद्र दुख दहन स्तोत्र पाठ करने की विशेष विधि – 2

इस विधि के अनुसार ऊपर Download किये गए दारिद्र्य दहन शिव स्तोत्र PDF का पाठ सोमवार के सोमवार किसी भी बेलपत्री के वृक्ष के नीचे करना है।

दारिद्र्य दहन शिव स्तोत्र PDF का पाठ करने के पहले आपको दो दिए को जलना होता है। इनमे से एक दिया गाय के घी का होना चाहिए और दूसरा सरसों के तेल का।

सर्वप्रथम आपको बेलपत्री के वृक्ष के नीचे बैठना है, तत्पश्चात गाय के घी का दिया अपने सीधे हाथ अर्थात दाहिने तरफ रखें, तथा तेल का दिया आने बायीं तरफ रखें।

अब अपनी मनोकामना का स्मरण कर Daridra Dahan Shiv Stotra PDF का पाठ श्रद्धा-पूर्वक करें।

दो-चार सोमवार होते होते हीं आपको दारिद्र्य दहन शिव स्तोत्र के लाभ दिखने शुरू हो जायेंगे।

दरिद्र दुख दहन स्तोत्र पाठ करने की विशेष विधि -3

दारिद्र्य दहन शिव स्तोत्र के लाभ को शीघ्र-अतिशीघ्र पाने के लिए प्रत्येक शुक्ल और कृष्ण पक्ष के प्रदोष को व्रत धारण करें।

सुबह प्रातः काल शिवजी की पूजा अर्चना तथा शिवलिंग का जलाभिषेक करें।

शाम प्रदोष काल में किसी शिव मंदिर में जाएँ और सर्वप्रथम शिवजी का ध्यान और संकल्प करें।

तत्पश्चात शिवलिंग का जलाभिषेक करें।

भगवान शिव के सामने दो बाती के दीपक को जलाएं, अर्थात एक हीं दीपक में दो अलग अलग बाती लगी हो।

ध्यान रखें की दिए में लम्बी वाली बाती होनी चाहिए। गाय के घी का दीया सर्वोत्तम माना गया है।

तत्पश्चात, अपनी मनोकामना को ध्यान मे रखते हुए उच्च स्वर में दारिद्रय दहन शिव स्त्रोत का पाठ करें।

दारिद्रय दहन स्त्रोत (Daridra Dahan Shiv Stotra) का पाठ शिव मंदिर के शिवलिंग या फिर शिव की प्रतिमा के सामने करें।

अगर आस पास कोई शिव मंदिर उपलब्ध नहीं हो तो इसे अपने घर में स्थापित शिव प्रतिमा के सामने भी कर सकतें हैं।

जल्दी हीं आपको दारिद्र्य दहन शिव स्तोत्र के लाभ दिखने शुरू हो जायेंगे।

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निष्कर्ष

तो कैसी लगी दारिद्र्य दहन शिव स्तोत्र PDF से सम्बंधित ये जानकारी। हमने यहाँ आपको दारिद्र्य दहन शिव स्तोत्र के लाभ, दारिद्र्य दहन शिव स्त्रोत पाठ करने की विधि, दारिद्र्य दहन शिव स्तोत्र PDF तथा दारिद्र्य दहन शिव स्तोत्र हिंदी में अर्थ सहित समझाने की कोशिश की है।

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