श्री गणेश अष्टकम हिन्दी अर्थ सहित | Shri Ganesh Ashtakam

भगवान् श्री गणेश को समर्पित यह गणेशाष्टकम श्री गणेश पुराण से लिया गया है जो कि आठ श्लोको का एक दिव्य संग्रह है। आज के इस पोस्ट में हम श्री गणेश अष्टकम हिन्दी अर्थ सहित जानेगें।

श्री गणेश अष्टकम भगवान् श्री गणेश की कृपा पाने का अत्यंत सरल माध्यम है। इस स्तोत्र के नित्य पाठ से साधक अति शीघ्र मनोवांक्षित फल को प्राप्त कर लेता है।

इस स्तोत्र का भक्ति पूर्वक किया गया पाठ जातक के जीवन से समस्त विघ्न-बाधाओं और क्लेशों को दूर कर देता है तथा सौभाग्य में वृद्धि करता है। यदि आपके जीवन में भी अवांक्षित क्लेश तथा बार बार रुकावटें आती रहती हैं तो प्रतिदिन श्री गणेश अष्टकम का पाठ जरूर करें।

श्री गणेश पुराण से उद्धृत गणेशाष्टकम्

सनातन धर्म में भगवान् श्री गणेश को प्रथम पूज्य माना गया है। इनकी आराधना से जीवन में आ रही सभी समस्याएं दूर हो जाती हैं और मनुष्य को ज्ञान, यश, धन, आयु और सम्पदा में वृद्धि होती है। श्री गणेश अष्टकम के नित्य पाठ से भक्त भगवान् श्री गणेश के सभी कृपा को अत्यंत सरलता से प्राप्त कर लेता है।

किसी भी चतुर्थी अथवा बुधवार से आप भगवान् श्री गणेश के इस स्तोत्र का पाठ शुरू कर सकते हैं। गणेश चतुर्थी के दिन से इस स्तोत्र का पाठ अतिफलदायी माना गया है।

तो चलिए, अब हम श्री गणेश पुराण में वर्णित इस श्री गणेश अष्टकम के मूल रूप का पाठ करते हैं जो कि संस्कृत में लिखा गया है।

श्री गणेश अष्टकम संस्कृत में

गणेश अष्टकम
गणेश अष्टकम फल श्रुति

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Ganesh Ashtakam PDF

यदि आप श्री गणेश पुराण में वर्णित Shri Ganesh Ashtakam के PDF प्रारूप को Download करना चाहते हैं तो नीचे दिए गए बटम पे Click कर सीधे अपने मोबाइल में Save कर सकते हैं।

श्री गणेश अष्टकम हिन्दी अर्थ सहित

श्री गणेश अष्टकम मूल रूप से संस्कृत में लिखी गयी है, जो हमारे कई पाठकों को कठिन प्रतीत हो सकती है। अतः यहाँ हम श्री गणेश को समर्पित इस स्तोत्र के हिंदी रूपांतरण को भी लिखा है।

सम्पूर्ण भक्ति भाव के साथ श्री गणेश अष्टकम हिंदी अर्थ सहित पढ़ने से भी आप भगवान् श्री गणेश के कृपा को प्राप्त कर सकते हैं।

श्री गणेश अष्टकम हिन्दी अर्थ सहित

॥ अथ श्री गणेशाष्टकम् ॥

सर्वे उचुः।

यतोऽनन्तशक्तेरनन्ताश्च जीवा
यतो निर्गुणादप्रमेया गुणास्ते।
यतो भाति सर्वं त्रिधा भेदभिन्नं
सदा तं गणेशं नमामो भजामः॥१॥

अर्थ : जिन अनंत शक्ति को धारण करने वाले परमात्मा से समस्त जीव प्रकट हुए हैं, जिन निर्गुण परमात्मा से असंख्य गुणों की उत्पत्ति हुई है, जिनसे सात्विक, राजस और तामस – इन तीनों भेदों वाला यह सम्पूर्ण जगत् प्रकट एवं भासित हो रहा है, उन श्री गणेश को हम नमन करते हैं तथा उनका भजन करते हैं।

यतश्चाविरासीज्जगत्सर्वमेतत्
तथाऽब्जासनोविश्वगो विश्वगोप्ता।
तथेन्द्रादयो देवसङ्घा मनुष्याः
सदा तं गणेशं नमामो भजामः॥२॥

अर्थ : जिनसे इस समस्त संसार का प्रादुर्भाव हुआ है, जिनसे कमल पर विराजमान भगवान् श्री ब्रह्मा, विश्वव्यापी विश्वरक्षक भगवान् श्री हरी विष्णु, इन्द्र आदि देवतागण और मनुष्य प्रकट हुए हैं, उन श्री गणेश का हम सदैव नमन करते हैं तथा उनका भजन करते हैं।

यतो वह्निभानू भवो भूर्जलं च
यतः सागराश्चन्द्रमा व्योम वायुः।
यतः स्थावरा जङ्गमा वृक्षसङ्घा
सदा तं गणेशं नमामो भजामः॥३॥

अर्थ : जिनसे अग्नि, सूर्य, पृथ्वी, जल, समुद्र, चन्द्रमा, आकाश और वायु का प्रादुर्भाव हुआ तथा जिन से स्थावर-जंगम एवं वृक्ष समूह उत्पन्न हुए हैं, उन श्री गणेश का हम सदैव नमन एवं भजन करते हैं।

यतो दानवाः किन्नरा यक्षसङ्घा
यतश्चारणा वारणाः श्वापदाश्च।
यतः पक्षिकीटा यतो वीरूधश्च
सदा तं गणेशं नमामो भजामः॥४॥

अर्थ : जिनसे दानव, किन्नर और यक्ष समूह उत्पन्न हुए, जिनसे हाथी और हिंसक जीव उत्पन्न हुए तथा जिनसे पक्षियों, कीटों और लता-बेलों का प्रादुर्भाव हुआ, उन गणेश का हम सदा ही नमन और भजन करते हैं।

यतो बुद्धिरज्ञाननाशो मुमुक्षोर्यतः
सम्पदो भक्तसन्तोषिकाः स्युः।
यतो विघ्ननाशो यतः कार्यसिद्धिः
सदा तं गणेशं नमामो भजामः॥५॥

अर्थ : जिनसे मुमुक्षु को बुद्धि प्राप्त होती है तथा अज्ञान का नाश होता है, जिनसे भक्तों को संतोष प्रदान करने वाली सम्पदाएँ प्राप्त होती हैं तथा जिनसे विघ्न-बाधाओं का नाश और समस्त कार्यों की सिद्धि होती है, उन श्री गणेश का हम सदा नमन एवं भजन करते हैं।

यतः पुत्रसम्पद्यतो वाञ्छितार्थो
यतोऽभक्तविघ्नास्तथाऽनेकरूपाः।
यतः शोकमोहौ यतः काम एव
सदा तं गणेशं नमामो भजामः॥६॥

अर्थ : जिनकी आराधना से पुत्र-सम्पत्ति की प्राप्ति होती है, जिनसे मनोवांछित अर्थ सिद्ध होता है, जिनसे अभक्तों को अनेक प्रकार के विघ्न शोक, मोह और काम प्राप्त होते हैं, उन श्री गणेश का हम सदा नमन एवं भजन करते हैं।

यतोऽनन्तशक्तिः स शेषो बभूव
धराधारणेऽनेकरूपे च शक्तः।
यतोऽनेकधा स्वर्गलोका हि नाना
सदा तं गणेशं नमामो भजामः॥७॥

अर्थ : जिनसे अनन्त शक्ति से युक्त शेषनाग का प्राकट्य हुआ, जो इस पृथ्वी को धारण करने एवं अनेक रूप ग्रहण करने में समर्थ हैं, जिनसे अनेक प्रकार के अनेक स्वर्गलोक का प्रादुर्भाव हुआ, उन श्री गणेश का हम सदा ही नमन एवं भजन करते हैं।

यतो वेदवाचो विकुण्ठा मनोभिः
सदा नेति नेतीति यत्ता गृणन्ति।
परब्रह्मरूपं चिदानन्दभूतं
सदा तं गणेशं नमामो भजामः॥८॥

अर्थ : जिनके विषय में वेद वाणी कुंठित है, जहाँ मन की भी पहुंच नहीं है तथा श्रुति सदैव सावधान होकर ‘नेति-नेति‘ – इन शब्दों द्वारा जिनका वर्णन करती है, जो सच्चिदानन्द स्वरूप परब्रह्म है, उन श्री गणेश का हम सदा ही नमन एवं भजन करते हैं।

॥ फल श्रुति ॥

श्रीगणेश उवाच।

पुनरूचे गणाधीशःस्तोत्रमेतत्पठेन्नरः।
त्रिसन्ध्यं त्रिदिनं तस्यसर्वं कार्यं भविष्यति॥९॥

अर्थ : श्री गणेश कहते हैं कि जो भी तीन दिनों तक तीनों संध्या-काल के समय इस गणाधीश स्तोत्र का पाठ करता है, उसके सारे कार्य सिद्ध हो जाते हैं।

यो जपेदष्टदिवसं श्लोकाष्टकमिदं शुभम्।
अष्टवारं चतुर्थ्यां तु सोऽष्टसिद्धिरवानप्नुयात्॥१०॥

अर्थ : जो कोई भी आठ दिनों तक इन आठ श्लोकों का एक बार पाठ करता है और चतुर्थी तिथि को इस स्तोत्र को आठ बार पढता है, वह आठों सिद्धियों को प्राप्त कर लेता है।

यः पठेन्मासमात्रं तुदशवारं दिने दिने।
स मोचयेद्वन्धगतं राजवध्यं न संशयः॥११॥

अर्थ : जो भी एक महीने तक प्रतिदिन दस-दस बार इस स्तोत्र का पाठ करता है, वह कारागार में बंधे हुए तथा राजा के द्वारा मृत्यु-दण्ड पाने वाले कैदी को भी छुड़ा लेता है, इसमें जरा भी संशय नहीं है।

विद्याकामो लभेद्विद्यां पुत्रार्थी पुत्रमाप्नुयात्।
वाञ्छितांल्लभते सर्वानेकविंशतिवारतः॥१२॥

अर्थ : इस स्तोत्र का इक्कीस बार पाठ करने से विद्यार्थी विद्या को, पुत्रार्थी पुत्र को तथा कामार्थी समस्त मनोवांच्छित कामनाओं को प्राप्त कर लेता है।

यो जपेत्परया भक्तया गजाननपरो नरः।
एवमुक्तवा ततो देवश्चान्तर्धानं गतः प्रभुः॥१३॥

अर्थ : जो भी जातक पराभक्ति से इस स्तोत्र का जप करता है, वह गजानन का परम भक्त हो जाता है-ऐसा कहकर भगवान गणेश वहीं अंतर्धान हो गए।

॥ इति श्रीगणेशपुराणे श्रीगणेशाष्टकं सम्पूर्णम् ॥

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गणेश अष्टकम के लाभ | Ganesh Ashtakam benefits

श्री गणेश अष्टकम गणेश पुराण में लिखा गया आठ श्लोकों का एक संग्रह है जो भगवान् श्री गणेश को समर्पित है। इस स्तोत्र के पाठ या फिर श्रवण मात्र से मनुष्य को सांसारिक तथा आध्यात्मिक दोनों हीं प्रकार के सुख की प्राप्ति होती है।

श्री गणेश पुराण में उल्लेखित इस गणेशाष्टकम् में श्लोक संख्या 9 से श्लोक संख्या 13 तक को फलश्रुति की श्रेणी में रखा गया है। अर्थात, इन श्लोकों के माध्यम से ये बताया गया है कि श्री गणेश अष्टकम के नित्य पाठ से व्यक्ति को किन किन लाभों की प्राप्ति होती है।

विघ्न-बाधाओं का होता है नाश

सनातन धर्म में भगवान् श्री गणेश को विघ्नहर्ता भी कहा गया है, अर्थात वे समस्त विघ्नों को हर लेने वाले हैं। गणेश अष्टकम् का प्रतिदिन किया गया पाठ जीवन में उपस्थित सभी समस्याओं और बाधाओं का नाश करता है।

बुद्धि में आती है प्रखरता

श्री गणेश को प्रथम पूज्य भी माना जाता है क्योंकि वे बुद्धि और ज्ञान के प्रतिक हैं। अगर आप अपनी बुद्धि को बढ़ाना चाहते हैं या फिर अगर आप सही समय पर सही निर्णय लेने में सक्षम नहीं हैं तो श्री गणेश अष्टकम् का पाठ जरूर करें।

जीवन में आती है सुख संमृद्धि

ऐसी मान्यता है कि भगवान श्री गणेश जिस स्थान पर होते है वहां उनके साथ रिद्धि सिद्धि भी विराजमान होती हैं। इस कारन श्री गणेश को समृद्धि और धन का देवता भी माना गया है। भक्ति पूर्वक किया गया गणेशाष्टकम का पाठ व्यक्ति के जीवन में धन-सम्पदा को बढ़ता है।

नकारात्मकता होती है दूर

अक्सर हम अपनी गलत सोच के कारन नकारात्मकता का शिकार हो जाते हैं। इस स्तोत्र का पाठ मन को सकारात्मकता तथा शांति प्रदान करता है। और धीरे धीरे आप आंतरिक शांति और संतुलन को प्राप्त कर लेते हैं।

सफलता में होती है वृद्धि

कभी कभी बहुत प्रयासों के बावजूद हमे सफलता नहीं मिलती है, उस स्थिति में श्री गणेश अष्टकम् का पाठ करने जरूर करें। नियम और भक्तिभाव से किया गया गणेशाष्टकम का पाठ कार्यों में सफलता प्रदान करता है।

गणेश अष्टकम् (Ganesh Ashtakam) FAQ

गणेश अष्टकम् क्या है?

गणेश अष्टकम् भगवान गणेश को समर्पित आठ श्लोकों का एक प्रसिद्ध संस्कृत स्तोत्र है। इस स्तोत्र के माध्यम से भगवान गणेश के विभिन्न गुणों, शक्तियों और आशीर्वादों का वर्णन किया गया है।

गणेशाष्टकम का उल्लेख किस ग्रन्थ में मिलता है?

श्री गणेश पुराण में गणेशाष्टकम का उल्लेख मिलता है।

गणेश अष्टकम् का पाठ कब करना चाहिए?

गणेश अष्टकम् का पाठ प्रातःकाल, मध्यान-काल या संध्या के समय किया जा सकता है। दिन के तीनो संध्या में इस स्तोत्र का पाठ किया जा सकता है।

गणेश अष्टकम पाठ करने के लिए सबसे अच्छा दिन कौन सा हैं?

किसी भी चतुर्थी तिथि या किसी भी बुधवार के दिन से श्री गणेशाष्टकम का पाठ शुरू कर सकते हैं। गणेश चतुर्थी का दिन सर्वोत्तम मन गया है।

क्या गणेश अष्टकम् का पाठ सभी कर सकते हैं?

हाँ, गणेश अष्टकम् का पाठ स्त्री, पुरुष अथवा बच्चे कोई भी कर सकता है। यह स्तोत्र सभी के लिए समान रूप से फलदायी है।

गणेश अष्टकम् का पाठ किस भाषा में करें?

गणेश अष्टकम् मूल रूप से संस्कृत भाषा में लिखा गया है, परन्तु आप इसे हिंदी, अंग्रेजी या किसी भी अन्य भाषा में अनुवाद के साथ भी पढ़ सकते हैं।

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निष्कर्ष

श्री गणेश पुराण में वर्णित श्री गणेश अष्टकम के नित्य पाठ से भक्त भगवान् श्री गणेश के सभी कृपा को अत्यंत सरलता से प्राप्त कर लेता है। भगवान् श्री गणेश की कृपा से साधक के जीवन की सभी बाधाओं का अंत होता है, तथा वो सफलता, समृद्धि, स्वास्थ्य, और शांति को प्राप्त करता है।

तो कैसी लगी श्री गणेश अष्टकम हिन्दी अर्थ सहित से जुडी ये जानकारी। अगर अच्छी लगी हो तो अपने प्रियजनों के साथ इस पोस्ट को शेयर करना मत भूलें। आपकी एक लाइक और एक शेयर भी हिन्दू-धर्म को समर्पित हमारी टीम को बल प्रदान करेगा, और समय समय पर हम आपके लिए ऐसे ही अद्भुत जानकारियां लाते रहेंगें।

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