ललिता पंचक स्तोत्र । Lalita Panchakam Stotra

ललिता पंचक स्तोत्र माँ ललिता को समर्पित एक शक्तिशाली स्तोत्र है जिसके नियमित पाठ से माँ ललिता साधक को समस्त प्रकार के सांसारिक सुख और मोक्ष दोनों को ही प्रदान कर देती हैं।

सनातन धर्म में दस महाविद्यायों का वर्णन मिलता है। माँ ललिता जिन्हे हम त्रिपुरसुन्दरी, षोडसी या फिर राजराजेश्वरी के नाम से भी जानते हैं, वो इन दस महाविद्यायों में से एक हैं।

ललिता पंचक स्तोत्र

ललिता पंचकम एक लघु स्तोत्र है जिसमे केवल 5 श्लोकों के माध्यम से माँ ललिता के दिव्य रूप और गुणों का वर्णन किया गया है। इस स्तोत्र के नियमित पाठ से साधक को सहज हीं माँ ललिता का आशीर्वाद प्राप्त हो जाता है।

माँ ललिता के इस पंचक स्तोत्र को जो भी मनुष्य नियमित रूप से प्रातः काल में पाठ करता है उसे माँ ललितादेवी शीघ्र ही प्रसन्न होकर विद्या, धन, निर्मल सुख और समाज में यश-कीर्ति प्रदान कर देती हैं।

तो चलिए अब हम ललिता पंचकम का पाठ करते हैं।

ललिता पंचक स्तोत्र

ललिता पंचक स्तोत्र

ललिता पंचक स्तोत्र अर्थ सहित । Lalita Panchakam Stotra in Hindi

अगर आप ललिता पंचक स्तोत्र का पाठ संस्कृत में नहीं कर पा रहे हों तो बिलकुल भी चिंतित ना हों। हम यहाँ ललिता पंचकम में प्रयोग किये गए जटिल संस्कृत के शब्दों को लघु रूप में भी लिखा है, आप इसे आसानी से पढ़ सकते हैं। और यदि आप इसे भी पढ़ने में असमर्थ है तो इसके हिंदी अर्थ को पढ़ कर भी इसके लाभ को प्राप्त कर सकते हैं।

ललिता पंचक स्तोत्र हिंदी में

प्रातः स्मरामि ललिता-वदनार-विन्दं
बिम्बाधरं पृथुल-मौक्तिक-शोभिनासम्।
आकर्ण-दीर्घ-नयनं मणि-कुण्डलाढ्यं
मन्दस्मितं मृग-मदोज्ज्वल-फालदेशम् ॥1॥

मैं प्रातःकाल में माँ ललितादेवी के उस मनोहर मुखकमल का स्मरण करता हूँ, जिनके अधर बिम्बसमान रक्तवर्ण के हैं, जिनकी नासिका विशाल मौक्तिक से सुशोभित हैं, जिनके नयनों का विस्तार कर्णपर्यन्त है, जो मणिमय कुण्डल और मन्द मुसकान से युक्त हैं तथा जिनका ललाट कस्तूरी के तिलक से सुशोभित है॥१॥

प्रातर्भ-जामि ललिता-भुज-कल्पवल्लीं
रक्ताङ्गुलीय-लसदङ्गुलि-पल्लवाढ्याम्।
माणिक्य-हेमवलयाङ्गद-शोभमानां
पुण्ड्रेक्षु-चाप-कुसुमेषु-सृणीर्दधा-नाम् ॥2॥

मैं प्रातःकाल में श्रीललितादेवी की उन भुजारूपिणी कल्पलता का स्मरण करता हूँ जो लाल अंगूठी से सुशोभित सुकोमल अंगुलिरूप पल्लवों वाली तथा रत्नखचित सुवर्णकं कण और अंगदादि से भूषित है एवं जिसने पुण्ड्र-ईख के धनुष, पुष्पमय बाण और अंकुश धारण किये हैं॥ २॥

प्रातर्नमामि ललिता-चरणार-विन्दं
भक्तेष्टदान-निरतं भवसिन्धु-पोतम्।
पद्मासनादि-सुरनायक-पूजनीयं
पद्माङ्कुश-ध्वज-सुदर्शन-लाञ्छनाढ्यम् ॥3॥

मैं श्रीललितादेवी के कमल के समान चरणों को, जो भक्तों को अभीष्ट फल देने वाले और संसाररूपी सागर को पार करने के लिये सुदृढ़ जहाजरूप हैं तथा जो कमल पर विराजमान श्रीब्रह्माजी आदि देवेश्वरों से पूजित हैं, एवं जो पद्म, अंकुश, ध्वज एवं सुदर्श आदि मंगलमय चिह्नों से युक्त हैं, प्रातःकाल नमस्कार करता हूँ॥३॥

प्रातः स्तुवे परशिवां ललितां भवानीं
त्रय्यङ्गवेद्य-विभवां करुणा-नवद्याम्।
विश्वस्य सृष्टि-विलय-स्थिति-हेतुभूतां
विद्येश्वरीं निगम-वाङ्मनसाति-दूराम् ॥4॥

मैं प्रातःस्मरणीय परम कल्याणरूपिणी श्री ललिता भवानी की स्तुति करता हूँ जिनका वैभव वेदान्तवेद्य है, जो करुणामयी और शुद्धस्वरूपा हैं, जो विश्व की उत्पत्ति, स्थिति और लय का मुख्य कारण हैं, जो विद्या की अधिष्ठात्री देवी हैं तथा वेद, वाणी और मन की गति से परे हैं॥ ४॥

प्रातर्वदामि ललिते तव पुण्य-नाम
कामेश्वरीति कमलेति महेश्वरीति।
श्रीशाम्भवीति जगतां जननी परेति
वाग्देवतेति वचसा त्रिपुरेश्वरीति ॥5॥

हे माँ ललिता, कामेश्वरी, कमला, महेश्वरी, शाम्भवी, जगज्जननी, परा, वाग्देवी तथा त्रिपुरेश्वरी आदि तुम्हारे हीं वे पुण्यनाम हैं जिनका मै प्रातःकाल अपनी वाणी द्वारा उच्चारण करता हूँ॥ ५॥

यः श्लोक-पञ्चक-मिदं ललिताम्बिकायाः
सौभाग्यदं सुललितं पठति प्रभाते।
तस्मै ददाति ललिता झटिति प्रसन्ना
विद्यां श्रियं विमल-सौख्य-मनन्त-कीर्तिम् ॥6॥

सौभाग्य प्रदान करने वाली माँ ललिता के इन पाँच सुललित श्लोकों को जो पुरुष प्रातःकाल पढ़ता है, उसे शीघ्र ही प्रसन्न होकर माँ ललितादेवी विद्या, धन, निर्मल सुख और अनन्त कीर्ति देती हैं॥६॥

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ललिता पंचक स्तोत्र PDF

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ललिता पंचक स्तोत्र पाठ करने की विधि

माँ ललिता की तंत्र साधना किसी योग्य गुरु से दीक्षा लेने के उपरांत हीं करना चाहिए परन्तु जिन्हें मंत्र दीक्षा नहीं मिल पायी हो वो भी माँ ललिता के स्तोत्रों का पाठ कर उनकी आराधना कर सकते हैं।

माँ ललिता पंचक स्तोत्र के पाठ करने के पहले कुछ सामान्य विधि को जानना जरुरी हो जाता है, जो इस प्रकार हैं।

  • माँ ललिता पंचक स्तोत्र के पाठ करने का सबसे उत्तम समय प्रातः काल का होता है। अतः प्रातः काल शौच-स्नानादि से निवृत हो स्वक्ष वस्त्र धारण करें।
  • इस स्तोत्र के पाठ के लिए शांत जगह का चुनाव कर, किसी साफ आसन पर बैठ जाएँ।
  • अब अपने सामने माँ ललिता का चित्र अथवा यन्त्र को रखें। तथा उनके सामने धुप दीप जलाएं।
  • तदुपरांत माँ ललिता के किसी भी आह्वान मंत्र का अपनी समथ अनुसार जाप करें।
  • इसके पश्चात आप माँ ललिता पंचक स्तोत्र का पाठ शुद्ध उच्चारण के साथ उच्च स्वर में पाठ शुरू करें।
  • अंत में माँ ललिता देवी को प्रणाम कर उमसे आशीर्वाद प्राप्त करें।
ललिता पंचक स्तोत्र

ललिता पंचक स्तोत्र पाठ के लाभ

ललिता पंचक स्तोत्र के अंतिम श्लोक में इस स्तोत्र के पाठ से होने वाले लाभ को बताया गया है। इन लाभों के अलावा भी कई ऐसे लाभ हैं जिसे आप ललिता पंचक स्तोत्र के पाठ से प्राप्त कर सकते हैं।

तो चलिए अब हम जानते हैं इस स्तोत्र के पाठ से हम किन किन लाभों को प्राप्त कर सकते हैं।

  • ललिता पंचकम का पाठ माँ ललिता देवी की कृपा और आशीर्वाद को पाने का सबसे सुगम माध्यम है।
  • इस स्तोत्र के पाठ से माँ ललिता साधक के पंचक्लेशों अर्थत अविद्या, अस्मिता, राग, द्वेष और अभिनिवेश को दूर कर देती हैं।
  • ललिता पंचकम के नियमित पाठ से साधक के जीवन में सदैव सुख और शांति बानी रहती है।
  • पूर्ण श्रद्धा और विश्वास से किया गया ललिता पंचकम का पाठ साधक के जीवन में ऐश्वर्य और संमृद्धि को लाता है।
  • ललिता पंचक स्तोत्र के नियमित पाठ से व्यक्ति को समाज में मान सम्मान, यश और प्रतिष्ठा की प्राप्ति होती है।
  • ललिता पञ्चकम विद्यार्थियों तथा ज्ञान पाने के इच्छुक व्यक्ति के लिए अत्यंत उपयोगी है। इस स्तोत्र के पाठ से व्यक्ति के ज्ञान और विद्या में वृद्धि होनी शुरू हो जाती है।
  • ललिता पंचक स्तोत्र का पाठ भोग और मोक्ष दोनों को हीं प्रदान करने वाला होता है।

ललिता पंचक स्तोत्र से सम्बंधित कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न

माँ ललिता देवी कौन है?

माँ ललिता देवी दस महाविद्यायों में से एक हैं, जिन्हें माँ त्रिपुरसुन्दरी, माँ षोडसी और माँ राजराजेश्वरी के नाम से भी जाना जाता है।

ललिता पंचक स्तोत्र क्या है?

ललिता पंचक स्तोत्र माँ ललिता को समर्पित 5 दिव्य श्लोको का एक संग्रह है जो उनके दिव्य गुणों ऑव स्वरूपों का वर्णन करती है।

ललिता पंचक स्तोत्र का पाठ किस समय करना चाहिए?

ललिता पंचक स्तोत्र के पाठ करने सबसे उत्तम समय प्रातः काल का होता है।

क्या ललिता पंचक स्तोत्र का पाठ महिलाएँ कर सकती हैं?

हाँ, ललिता पंचकम का पाठ महिलाएं भी कर सकती हैं।

क्या ललिता पंचक स्तोत्र का पाठ किसी गुरु के निर्देश में करना चाहिए?

माँ ललिता के तंत्र साधना के लिए किसी गुरु के निर्देश की आवश्यकता होती है परन्तु माँ ललिता के स्तोत्रों के पाठ के लिए किसी गुरु के किसी निर्देश की कोई आवश्यकता नहीं होती है।

निष्कर्ष

तो कैसी लगी श्री ललिता पंचक स्तोत्र से जुडी ये जानकारी। साथ ही साथ हमने यहाँ आपको श्री ललिता पंचक स्तोत्र पाठ की जाप विधि तथा लाभ भी बताई है।

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